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बाल बंदियों ने दो महिला अफसरों पर लगा दिए एेसे आरोप, जांच के लिए पहुंची टीम

बाल बंदियों को एक बार नहीं बल्कि बार-बार पुलिस ने मौके पर मौजूद दो महिला अधिकारियों की शह पर जमकर पीटा गया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 01:15 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 04:35 PM (IST)
बाल बंदियों ने दो महिला अफसरों पर लगा दिए एेसे आरोप, जांच के लिए पहुंची टीम
बाल बंदियों ने दो महिला अफसरों पर लगा दिए एेसे आरोप, जांच के लिए पहुंची टीम

अंबाला शहर [उमेश भार्गव]। बाल सुधार गृह में TV को लेकर हुए विवाद के मामले में नया मोड़ आ गया है। बाल बंदियों को एक बार नहीं बल्कि बार-बार पुलिस ने मौके पर मौजूद दो महिला अधिकारियों की शह पर जमकर पीटा गया। पहले रात के समय पुलिस ने सभी बाल बंदियों की लाठियों और मुक्कों से तसल्ली की इसके बाद सुबह के समय करीब साढ़े 5 बजे इन बाल बंदियों को पीटा गया।

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इस दौरान भी रात वाली दोनों महिला अधिकारियों में से एक अधिकारी मौके पर ही थी। बाल बंदियों ने रविवार को जिला बाल कल्याण समिति के सदस्यों के सामने बयान देते हुए कहा कि रात के समय मौके पर पहुंची दोनों महिला अधिकारियों ने पुलिस से कहा था कि इनकी तसल्ली कर दो यह इसी लायक हैं। इसके बाद ही पुलिस ने उन्हें पीटा।

हैरत की बात यह है कि दोनों ही महिला अधिकारियों ने पूरे मामले पर पर्दा भी डाल दिया था। दैनिक जागरण की पहल के बाद विभाग हरकत में तो आया, लेकिन 46 घंटे तक किसी भी घायल बाल बंदी का मेडिकल नहीं करवाया गया। शनिवार के बाद रविवार को भी राज्य बाल संरक्षण आयोग के एक सदस्य ने बाल बंदियों के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ की तो बाल सुधार गृह में पहुंची तो भी बाल बंदी दर्द से कराह रहे थे। इसके बाद उन्होंने बाल सुधार गृह अधीक्षक को लताड़ लगाई तब जाकर मेडिकल अधिकारी को बुलाया गया।

उन्होंने ही दर्द निवारक दवाएं दी, लेकिन मेडिकल फिर भी नहीं हो सका। क्योंकि इमरजेंसी में एक्सरे की सुविधा जिला नागरिक अस्पताल में नहीं है। इसीलिए सुबह कि इनमें से करीब 6 बाल बंदियों की हड्डी टूटे होने की बात कही जा रही है। इसके बाद जब दैनिक जागरण ने पर्दा उठाया तो भी अंबाला के अधिकारी हरकत में नहीं आए। इतना ही नहीं डीसी तक ने मौके पर जाना लाजमी नहीं समझा। डॉ. प्रतिभा सिंह ने डीसी अंबाला को रविवार दोबारा मैसेज भेजा तो भी उन्होंने सीटीएम को निरीक्षण के लिए भेजा।

सीडब्ल्यूसी सदस्य गुरदेव सिंह का कहना है कि 30 बाल बंदियों को गंभीर चोटें आई हैं। बाल बंदियों ने कहा है कि दोनों प्रमुख महिला अधिकारियों के कहने पर पुलिस ने उन्हें पीटा। रात के बाद सुबह भी महिला अधिकारी के कहने पर ही पुलिस ने दोबारा पिटाई गई। कुछ के पैर में फ्रैक्चर की संभावनाएं हैं। लाठीचार्ज के अलावा मुक्के भी मारे गए हैं। इसी कारण उनकी आंखें तक सूजी हुई हैं।

अभिभावकों से नहीं मिलने दिया

बाल बंदियों की पिटाई की सूचना मिलने पर बाल सुधार गृह में अपने बच्चों का हाल जानने शनिवार को कई अभिभावक पहुंचे लेकिन किसी को भी बच्चों से मिलने नहीं दिया गया। अधिकारियों का डर था कि यदि वह अभिभावकों से मिले तो बच्चे पोल खोल देंगे।

फुटेज को डिलीट करने की खबर

बताया यह भी जा रहा है कि दोनों महिला अधिकारियों ने CCTV की फुटेज भी डिलीट करवा दी है। सच तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।

दूसरे दिन भी नहीं पहुंची अफसर

पहले राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य और फिर सीडब्ल्यूसी ने बाल सुधार गृह का निरीक्षण किया, लेकिन जिन दोनों महिला अधिकारियों की प्रमुख जवाबदेही है वे सुधार गृह में नहीं पहुंची।

बाल बंदी बोले- चेक करवा लिजिए CCTV

दो दिन बाद भी CCTV की फुटेज अधिकारियों ने जांच टीम को नहीं दी। पहले राज्य बाल संरक्षण आयोग फिर सीडब्ल्यूसी दोनों को बाल सुधार गृह अधीक्षक ने यही कहा कि इसका पासवर्ड जिला महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी के पास है। जबकि बाल बंदियों ने अपनी पिटाई की बात कहते हुए और दोनों महिला अधिकारियों की पोल खोलते हुए कहा कि CCTV की फुटेज देख लिजिए उन्हें महिला अधिकारियों ने किस तरह पिटवाया है।

क्रास चेकिंग में पकड़ा गया झूठ

बाल सुधार गृह में बाल बंदियों पर लाठियां और घूंसे बरसाने के बाद भी अंबाला के अधिकारियों को चैन नहीं आया। दो दिन तक बाल सुधार गृह में बाल बंदी दर्द से करहाते रहे। हाथ लगाने पर भी असहनीय पीड़ा उन्हें हो रही थी। पैरों से लेकर पीठ तक लठों से पीटा गया। गर्दन से ऊपर घूंसे मारे गए, लेकिन सिवाय पैरासिटामोल के कोई दवा उन्हें नहीं दिलाई गई। जांच कराना और इलाज कराना तो दूर की बात।

गत दिवस सीडब्ल्यूसी जांच के लिए पहुंची तो बाल बंदी पिटाई के बाद से अब तक दर्द से तड़प रहे थे। जब सीडब्ल्यूसी ने बाल सुधार गृह अधीक्षक रामकुमार से पूछा कि उन्होंने अभी तक मेडिकल क्यों नहीं करवाया और क्यों डॉक्टर को अभी तक मौके पर नहीं बुलाया तो उन्होंने जवाब दिया कि सिविल सर्जन को कल ई-मेल कर सूचना दे दी गई थी, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई मेडिकल अधिकारी ही नहीं भेजा। इस पर सीडब्ल्यूसी ने सिविल सर्जन डॉ. संत लाल से बातचीत की तो पता चला कि सिविल सर्जन को कोई ई-मेल नहीं भेजी गई थी। यही दवा बाल सुधार गृह अधिकारी राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य के समक्ष कर रहे थे, लेकिन दोनों ने सिविल सर्जन और डिप्टी सिविल सर्जन से बातचीत कर झूठ से पर्दा उठा दिया।

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