सेना ने सरकार से मांगी 261 एकड़ जमीन, डीसी शरणदीप कौर ने किया दौरा
जागरण संवाददाता, अंबाला : छावनी में तोपखाना परेड, रिसाला बाजार, दुधला मंडी, गुलाब मंडी का डीसी शरणदीप कौर ने दौरा किया।
जागरण संवाददाता, अंबाला : छावनी में तोपखाना परेड, रिसाला बाजार, दुधला मंडी, गुलाब मंडी, हिम्मतपुरा में सेना की जमीन को स्थानीय प्रशासन के अधीन करने के मामले में शनिवार को डीसी सहित प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया। डीसी शरणदीप कौर बराड़ को कैंटोनमेंट बोर्ड के उपाध्यक्ष अजय बवेजा ने संबंधित जमीन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस मामले में कुछ समय पहले स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की ओर से हस्तक्षेप किए जाने के बाद रक्षा मंत्रालय ने प्रशासनिक स्टे लगा दिया था। बाकायदा रक्षामंत्री ने आदेश दिए थे कि जब तक इन जमीनों पर रहने वाले लोगों के हित में फैसला नहीं हो जाता तब तक इन यहां किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाए।
दरअसल छावनी में तोपखाना परेड, रिसाला बाजार, दुधला मंडी, गुलाब मंडी, हिम्मतपुरा में करीब छह हजार परिवार रहते हैं जो कैंटोनमेंट बोर्ड के अधीन आते हैं। लेकिन यह जमीन सेना के अधीन आती है। इन जगहों पर रहने वाले लोगों को सेना की ओर से बार-बार खाली करवाने का भय सताता रहता है। अगर कोई भी व्यक्ति यहां निर्माण कार्य करता है तो सेना अधिकारी उस काम को ही रुकवा देते हैं। कुछ समय पहले इन लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के पास गुहार लगाई थी। मांग की गई थी कि सदर एरिया की तर्ज पर इस क्षेत्र की जमीन का भी वर्गीकरण करके सी क्लास करवाया जाए।
विज ने इस मामले में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा था जिसके बाद मंत्रालय ने इस जमीन पर कार्रवाई करने पर स्टे लगा दी थी।
पश्चिम कमांड ने उपायुक्त अंबाला को भेजा पत्र
इस संबंध में अब पश्चिम कमांड मुख्यालय की ओर से एक ड्राफ्ट उपायुक्त अंबाला को भेजा गया है। इसमें बताया गया कि अगर हरियाणा सरकार 261 एकड़ जमीन सेना को दे दे तो इसका स्थाई समाधान हो सकता है। ऐसे में शनिवार को उपायुक्त अंबाला शरणजीत कौर बराड़, एसडीएम सुभाष सिहाग, कैप्टन विनोद डीआरओ, स¨तद्र सिवाच, संयुक्त आयुक्त नगर निगम समेत अन्य भी मौजूद थे।
डीसी को हालातों बारे जानकारी दे दी
डीसी ने मौके पर इन सभी जमीनों पर दौरा किया था। डीसी को इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है क्योंकि यह क्षेत्र मौजूदा कैंटोनमेंट बोर्ड के अधीन आता है। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री ने उनके निवेदन पर ही रक्षा मंत्रालय में पत्र लिखा था जिसके बाद रक्षा मंत्री ने सेना की कार्रवाई रोकने के लिए यहां स्टे लगवाया था। इन लोगों को अब राहत मिलती नजर आ रही है।
अजय बवेजा, उपाध्यक्ष कैंटोनमेंट बोर्ड।