ट्राइसाकिल लेने धक्के खा अनाज मंडी पहुंचे दिव्यांग, भटक कर लौटे बैरंग
जागरण संवाददाता, अंबाला : ट्राइसाइकिल लेने की लालसा लिए जिलेभर के दिव्यांग छावनी से करीब
जागरण संवाददाता, अंबाला : ट्राइसाइकिल लेने की लालसा लिए जिलेभर के दिव्यांग छावनी से करीब सात किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे स्थित अनाज मंडी पहुंच गए। सुबह 8 बजे से दिव्यांगों का मंडी में तांता लगना शुरू हो गया। लेकिन घंटों इंतजार के बाद उन्हें पता चला कि आज तो ऐसा कोई कार्यक्रम ही नहीं है। अलबत्ता, 40 से 45 किलोमीटर दूर से धक्के खाकर पहुंचे दिव्यांगों को निराश होकर लौटना पड़ा। ट्राइसाइकिल मिलना तो दूर की बात इन्हें बताने वाला भी कोई नहीं था कि आज का कार्यक्रम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के चलते स्थगित कर दिया गया है।
दरअसल, जिला रेडक्रॉस सोसायटी और जिला समाज कल्याण अधिकारिता विभाग की ओर से छावनी की अनाज मंडी में कार्यक्रम तय हुआ था। इसकी सूचना अखबारों के अलावा पटवारियों व एमसी के माध्यम से लोगों तक पहुंचाई गई, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के चलते इस कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया। हालांकि इसकी सूचना रेडक्रॉस और जिला समाज कल्याण विभाग द्वारा पहले जारी नहीं करवाई गई। एक दिन पहले यानी रविवार को यह सूचना डीपीआरओ के माध्यम से भेजी गई जोकि सोमवार सुबह अखबारों के माध्यम से जनता तक पहुंची। जिन दिव्यांगों ने अखबार पढ़े उन तक सूचना पहुंची, शेष अनाज मंडी में पहुंच गए। इन सभी को अपनी यूनिक आइडी पंजीकृत कराकर ट्राइसाइकिल देने का कार्यक्रम तय किया गया था।
कर्मियों की लगाई जानी चाहिए थी ड्यूटी
विभागों ने कागजी खानापूर्ति करने के लिए 24 घंटे पहले सूचना जारी करवाई। लेकिन जो सूचना 10 दिन पहले उन तक पहुंच चुकी थी उसी को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों को अनाज मंडी में कुछ कर्मियों की ड्यूटी लगानी चाहिए थी, जो मंडी में आने वाले दिव्यांगों का मार्गदर्शन कर उन्हें बता सकते थे कि यह कार्यक्रम स्थगित हो गया है, लेकिन किसी की ड्यूटी लगाना जरूरी नहीं समझा गया।
मौके पर रखी थी ट्राइसाइकिल, इसीलिए कोई नहीं हिला
अनाज मंडी में तय कार्यक्रम के अनुसार ट्राइसाइकिल भी रखी हुई थी। इसीलिए मंडी में पहुंचे दिव्यांगों को लगा कि अधिकारी कुछ देर में आ जाएंगे। यही सोचकर कई घंटे तक दिव्यांग वहीं बैठे अधिकारियों का इंतजार करते रहे। जब कोई नहीं आया तो कुछ की आंखें तो नम हो गई।
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फोटो: 20
नारायणगढ़ से आया हूं। यदि आज हमें ट्राइसाइकिल नहीं देनी थी तो इतनी दूर धक्के क्यूं खिलाए गए। हमें नहीं पता कि अखबारों में क्या आया है।
दिलाबाग, गांव रछेड़ी।
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मैं बराड़ा से आया हूं। मुझे नहीं पता था कि आज होने वाला कार्यक्रम नहीं होगा। यहां आकर गार्ड ने बताया लेकिन ट्राइसाइकिल रखे थे इसीलिए एकदम विश्वास भी नहीं कर सकते थे।
विनोद कुमार, गांव हरियोली।
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9 बजे से 12 बज चुके हैं अभी तक तो कोई अधिकारी आया नहीं। अब कौन आएगा। इस तरह सरकार हमें बेवकूफ बना रही है। कभी कहते हैं ट्राइसाइकिल मिलेंगे कभी कहते हैं नहीं मिलेंगे।
अजय कुमार, बब्याल।