Move to Jagran APP

53वें पड़ाव पर पहुंचा अंबाला, क्षेत्रफल घटा पर प्रदेश में बनाई अलग पहचान

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : एक नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर हरियाणा प्रदेश नए रा

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 08:12 AM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 08:12 AM (IST)
53वें पड़ाव पर पहुंचा अंबाला, क्षेत्रफल घटा पर प्रदेश में बनाई अलग पहचान
53वें पड़ाव पर पहुंचा अंबाला, क्षेत्रफल घटा पर प्रदेश में बनाई अलग पहचान

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : एक नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर हरियाणा प्रदेश नए राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया। प्रदेश के साथ ही अंबाला भी अपना 53वां जन्मदिन मना रहा है।

loksabha election banner

संयुक्त पंजाब के वक्त ये जिले की हैसियत रखने वाला अंबाला प्रदेश के गठन बने जिलों में शामिल था। हरियाणा का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले इस जिले का प्रदेश के विकास में बड़ा योगदान रहा है। पंचकूला व यमुनानगर नए जिलों के गठन के बाद क्षेत्रफल कम हुआ लेकिन रूतबा कम नहीं हुआ। साइंस उद्योग, कपड़ा थोक कारोबार, मिक्सी उद्योग के तौर पर योगदान देने वाला जिला सुरक्षा के लिहाज से भी प्रदेश का अहम जिला है। यहां प्रदेश का एकमात्र कैंटोनमेंट बोर्ड है। पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग करने में अहम भूमिका निभाने वाली सेना की खड़गा टू कोर 1985 में पश्चिम बंगाल से अंबाला में स्थापित किया गया था। प्रदेश का एकमात्र एयरफोर्स स्टेशन है जहां सुखोई, जगुवार के बाद राफेल उतारने की तैयारी हो रही है। मंडल रेलवे स्टेशन नार्थ इंडिया को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने का काम करता है।

देसां में देश हरियाणा जित दूध दही का खाना' भले ही हरियाणवी संस्कृति का ट्रेड मार्क हो पर अंबाला ठेठ हरियाणवी पहचान वाला जिला कभी नहीं रहा। करीब 13 लाख आबादी वाले इस जिले में यूं तो सुषमा स्वराज, सूरजभान जैसे शक्तिशाली नेता दिए हैं लेकिन नेतृत्व के मामले में वह बागडोर नहीं मिली जिसका हकदार था। अनिज विज भी पांचवीं बार विधायक हैं। हाल के कुछ सालों में यहां खेल व स्वास्थ्य सेवाओं को नया विस्तार मिला है। वहीं, जिस प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति से अंबाला को जाना जाता है उसको लेकर विस्तार योजनाएं अभी भी धरातल पर नहीं उतर पाई हैं।

सालों तक बना रहा स्वास्थ्य सेवाओं में ठहराव, अब मिला विस्तार

सीएमओ कार्यालय स्थित अंग्रेजों के जमाने का पुराना ईएसआइ भवन हरियाणा बनने के बाद जिले की स्वास्थ्य सेवाओं का अहम केंद्र था। सालों तक इस अस्पताल पर ही निर्भरता रही। प्रदेश के मुख्यमंत्री हुक्म ¨सह के वक्त में अपना अस्पताल नाम से नये भवन का शिलान्यास हुआ जो आज 200 बेड का जिला अस्पताल है। जिसे 300 बेड बनाए जाने की तैयारी है। वहीं, छावनी में 100 बेड के मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल ने स्वास्थ्य सेवाओं को नई धार दी है। नगर पालिका से निगम तक पहुंचे

अंबाला साल 1977 में नगर पालिका अस्तित्व में आया। जो साल 2010 में नगर निगम बना। इतने सालों में निगम तक तो पहुंच गए हैं लेकिन लोगों को सुविधाएं अभी नहीं है। देखा जाए तो आबादी के बाद स्थानीय निकायों के बोर्ड तो बदले गए लेकिन आज भी एनसीआर की तर्ज पर यहां स्टाफ मुहैया नहीं हो पाया है। निगम का दर्जा सिर्फ कागजों में ही नजर आ रहा है।

खेल में जगी नई उम्मीद

अंबाला में फुटबाल की संस्कृति रही है। जब हरियाणा बना तो लोगों का मुख्य खेल फुटबाल ही था। हालांकि, समय के साथ इस खेल पर ध्यान नहीं देने से अंबाला का रुतबा धूमिल हो गया। अब करीब 50 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे खेल स्टेडियम से एक बार फुटबाल व दूसरे खेलों को नई धार मिलने की उम्मीद बंधी है। जिम्नास्टिक ने भी जिले को अर्जुन अवार्डी दिए हैं।

पुराने होटलों के जायके की अलग पहचान

खानपान से जुड़े रेस्टोरेंट व होटलों का अंबाला से अंग्रेजों के समय से ही पुराना नाता रहा है। विजय रत्तन चौक पर स्टैंडर्ड होटल 1937 में स्थापित हो गया था जो अभी भी चालू हालत में हैं। इसी प्रकार जैन सोड़ा वाटर जो शीतल पेय पदार्थों से जुड़ा रहा है। जो कि 1940 में स्थापित हुआ था अब यहां रेस्टोरेंट है। नेशनल हाईवे पर पूर्ण ढाबा अपनी अलग पहचान रखता है। यह होटल व ढाबे कहीं न कहीं पुरानी व नई संस्कृति का सुमेल हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.