वैक्सीन के लिए ट्रायल देने वाले युवा को भूला अंबाला जिला प्रशासन
कोरोना के दौरान लोगों के लिए सुविधा या सहारा बनने वाले वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को अंबाला शहर के पंचायत भवन में जिला प्रशासन की ओर से सम्मानित किया गया लेकिन कोरोना को लेकर फ्रंट लाइन पर आकर अपने जीवन को जोखिम में डालने वाले युवा को जिला प्रशासन भूल गया।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : कोरोना के दौरान लोगों के लिए सुविधा या सहारा बनने वाले वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को अंबाला शहर के पंचायत भवन में जिला प्रशासन की ओर से सम्मानित किया गया, लेकिन कोरोना को लेकर फ्रंट लाइन पर आकर अपने जीवन को जोखिम में डालने वाले युवा को जिला प्रशासन भूल गया। इन युवाओं ने वैक्सीन ट्रायल के लिए अपना शरीर दिया था। ट्रायल भी लगभग 194 दिनों तक चला, परंतु उन्हें सम्मान देना तो दूर कार्यक्रम के लिए न्यौता तक नहीं दिया गया।
बता दें कि अंबाला शहर के पंचायत भवन में जिला रेडक्रास सोसाइटी एवं एक अन्य की ओर से कोरोना योद्धा अवार्ड सेरोमनी कार्यक्रम शुक्रवार को आयोजित किया गया था जिसमें उपायुक्त ने भी शिरकत की और उन्होंने कोरोना काल में डाक्टरों समेत सभी की सराहना की। उन्होंने डाक्टरों की तारीफ करते हुए कहा कि अपने जीवन को दूसरे लोगों के जीवन को सुरक्षित रखने में अतुलनीय काम किया है। इतना ही नहीं कार्यक्रम के दौरान एलईडी स्क्रीन पर सामाजिक संस्थाओं की ओर से कोरोना काल में किए गए कार्यों की झलक भी दिखाई गई।
-------- अरुणपाल पर हुआ सबसे पहला ट्रायल
दुर्गानगर का रहने वाला 24 वर्षीय अरुणपाल, पिता पलंबर का काम करके घर का गुजारा करते हैं। अरुणपाल 2017 में ग्रेजुएशन करने के बाद से नौकरी की तलाश में है और वह राइफल शूटिग में गोल्ड मेडलिस्ट भी है। इसके अलावा एथलेटिक्स में एशियन कैंप तक जा चुके हैं। इन सबके बाद भी अरुणपाल में सेवा करने का जज्बा इतना है कि हर समय तैयार रहते हैं। 9 जुलाई को अरुणपाल का जन्मदिन होता है और इस दिन भी हटकर काम करते हैं। ऐसा ही उन्होंने कोरोना को लेकर भी किया। उन्होंने को-वैक्सीन का ट्रायल सबसे पहले अपने शरीर पर करवाया। इसके लिए 9 जुलाई 2020 को अपना शरीर दान कर दिया था। 31 जुलाई को ट्रायल शुरू हुआ, 14 अगस्त, 28 अगस्त, 11 सितंबर, 12 नवंबर और 3 फरवरी 2021 को उस पर अंतिम ट्रायल हुआ।
----- -नहीं मिला सम्मान, बनने लगा मजाक
अरुणपाल ने बताया कि पंचायत भवन में कार्यक्रम था, लेकिन उसे जानकारी नहीं थी। कार्यक्रम के दौरान ही दोस्तों की काल आने लगी कि कार्यक्रम में क्यों नहीं आए। जबकि सबसे पहले और सबसे बड़ा काम बाडी पर ट्रायल जोखिम था। जबकि अन्य को सम्मानित किया जा रहा था। इतना ही नहीं इस त्याग के लिए न तो आज तक जिला प्रशासन की ओर से कभी सम्मानित किया गया और न ही किसी संस्था ने।