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कैंटोनमेंट प्रतिदिन बनाएगा एक टन जैविक खाद

जागरण संवाददाता, अंबाला : ट्विनसिटी में नगर निगम का पटवी प्लांट प्रोजेक्ट बेशक सिरे न चढ़

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 03:00 AM (IST)
कैंटोनमेंट प्रतिदिन बनाएगा एक टन जैविक खाद
कैंटोनमेंट प्रतिदिन बनाएगा एक टन जैविक खाद

जागरण संवाददाता, अंबाला : ट्विनसिटी में नगर निगम का पटवी प्लांट प्रोजेक्ट बेशक सिरे न चढ़ पाया है, लेकिन कैंटोनमेंट बोर्ड के बागवानी कचरे से प्रति दिन एक टन जैविक खाद तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट दिसंबर में धरातल पर उतर जाएगा। जनवरी से कैंटोनमेंट बार्ड का छावनी के सैन्य क्षेत्र में स्थित पटेल पार्क में यह प्रोजेक्ट अपना काम शुरू कर देगा। बोर्ड की ओर से मशीनरी खरीदने का आर्डर और टेंडर देने के बाद एलॉटमेंट का प्रक्रिया पूरी कर ली है।

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साल 2010 में छावन के शहजादपुर क्षेत्र में पटवी प्लांट लगाने की योजना बनाई गई थी। करोड़ों रुपये से यह प्रोजेक्ट सात में विवादों के चलते नहीं लग पाया है और अब इस प्लांट को नए सिरे से लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने फाइल शुरू कर दी है। नए सिरे से दोबारा से शुरू हुआ है, यह प्रोजेक्ट कब तक शुरू होगा, यह साफ नहीं है, लेकिन कैंटोनमेंट बोर्ड सेना क्षेत्र में प्रतिदिन एक टन जैविक खाद का निर्माण बागवानी कचरे से करेगा। योजना के मुताबिक डे-सेंटराइज्ड आर्गेनिक कांपेस्टेर प्लांट पटेल पार्क में लगाया जाएगा। चूंकि पार्क में ही पेड़-पौधों की संख्या काफी अधिक है, इसीलिए बोर्ड शुरुआत पार्क में इस प्रोजेक्ट को लगाकर करेगा। यदि कचरा पर्याप्त नहीं मिलेगा तो फिर दूसरे पार्को से इस कचरे को लाया जाएगा। बोर्ड के एरिया में पटेल पार्क के साथ ही सेना के पांच पार्क से अधिक पार्क हैं। इस खाद से बोर्ड और सेना क्षेत्र में हरियाली को बढ़ावा मिलेगा।

23.50 लाख से बनेगा सेंटर

बोर्ड ने इसका टेंडर मैसर्स अरुणा ग्रीन वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु को अलॉट कर दिया गया है। यह एजेंसी 25.36 लाख में बागवानी कचरे से जैविक खाद के रूप में बदलने के लिए एक टन प्रतिदिन की क्षमता वाले डे-सेंटराइज्ड आर्गेनिक कांपेस्टेर प्लांट को डिजाइन करेगी। साथ ही साथ इसकी आपूíत, स्थापना, कमीश¨नग, परीक्षण, संचालन और रखरखाव भी करेगी। एजेंसी को यह टेंडर पांच साल के लिए दिया गया है। टेंडर की शर्तो के मुताबिक एजेंसी को शुरुआती एक महीना ट्रायल का रहेगा। ट्रायल के 12 महीने तक कोई तकनीकी दिक्कत आती है, तो इसकी जिम्मेवारी पहले और दूसरे साल कंपनी को होगी। पहले और दूसरे वर्ष के लिए बोर्ड 23 लाख 50 हजार की रकम एजेंसी को देगा। इसके बाद तीसरे साल एजेंसी इस प्लांट के व्यापक रखरखाव रखने के लिए तीसरे और चौथे साल के लिए 60 हजार और पांचवे वर्ष के लिए 66 हजार रुपये की रकम दी जाएगी।


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