अभय चौटाला ने CID प्रकरण में विज का समर्थन किया, बोले- मेरे व हुड्डा के फोन कॉल हो रहे टेप
इनेलो नेता अभय चौटाला ने सीआइडी प्रकरण में हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज का समर्थन किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनके और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के फोन कॉल टेप हो रहे हैं।
अंबाला शहर, जेएनएन। इनेलो के वरिष्ठ नेता और विधायक अभय चौटाला ने सीआइडी के लेकर छि़ड़े विवाद में हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज का समर्थन किया है। अभय चौटाला ने कहा कि सीआइडी को गृह विभाग से अलग नहीं किया जाना चाहिए। अनिल विज का इस मामले में रुख एकदम सही है। इसके साथ ही अभय ने अपने और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के फोन कॉल टेप किए जाने का आरोप भी लगाया।
कहा- गृह विभाग से नहीं करना चाहिए सीआइडी अलग, जबरदस्ती हो रही तो अनिल विज छोड़ें विभाग
बतमा दें कि प्रदेश में मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के बीच सीआइडी की रिपोर्टिंग को लेकर उभरे विवाद से राजननीति गर्माई हुई है। इनेलो नेता अभय चौटाला ने इस मामले को फोन टैपिंग से जुड़़ा बताया। चौटाला ने कहा, अनिल विज ने क्या गलत पूछा था कि फोन किस-किसके टैप हो रहे हैं।
अभय चौटाला ने कहा, 'मेरा और हुड्डा का फोन टैप हो रहा है। औरों का भी होता होगा। आखिर सरकार क्या चाहती है हमारे फोन टैप करके। यह विवाद रोकना मुख्यमंत्री मनोहरलाल का काम है। यदि गृह विभाग से सीआइडी को अलग किया जा रहा है तो विज को सिर्फ अखबारों तक नहीं रहना चाहिए, ईमानदारी के साथ गृह विभाग ही छोड़ देना चाहिए। जब उस विभाग के साथ छेड़छाड़ हो रही हो तो फिर उसका दायित्व संभालने का क्या मतलब।
अभय चौटाला ने धान घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है। उन्होंने कहा, पहले सरकार ने मिल मालिकों की वेरीफिकेशन कराई और फिर एक-एक मिल से एक लाख 80 हजार रुपये ले चुके हैं और नोटिस दिए गए हैं। विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री से मांग की जाएगी कि इसकी जांच सीबीआइ से कराई जाए। सरकार रुपये इकट्ठा कर रही है। इसकी जांच सीबीआइ से होनी चाहिए।
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चौटाला ने कहा कि मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ में पांच मुख्यमंत्रियों के साथ नशे को रोकने के लिए मीटिंग की लेकिन नशा बढ़ता चला गया। गृह मंत्री विज के जिले में ही पिछले दो महीनों में नशे की ओपीडी बढ़ी है। पुलिस की मिलीभगत से नशे का कारोबार बढ़ रहा है। एक तरफ सरकार पंचायत को कहती है कि यदि आपके गांव में शराब का ठेका होगा तो एक रुपया बोतल के हिसाब से पंचायत को दिया जाएगा और दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि जो पंचायत लिखित में दे देगी शराब का ठेका नहीं खोलना तो वहां का ठेका नहीं खुलेगा।
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