डिग्री पाकर खिले 425 विद्यार्थियों के चेहरे
जिस कॉलेज में पढ़ाई करते समय विद्यार्थियों ने उज्ज्वल भविष्य के सपने देखे थे। उसी कॉलेज में कई साल के बाद डिग्री लेने पहुंचे विद्याथियों की आंखों में उनके सुनहरे भविष्य की चमक दूर से ही दिख रही थी।
जागरण संवाददाता, अंबाला : जिस कॉलेज में पढ़ाई करते समय विद्यार्थियों ने उज्ज्वल भविष्य के सपने देखे थे। उसी कॉलेज में कई साल के बाद डिग्री लेने पहुंचे विद्याथियों की आंखों में उनके सुनहरे भविष्य की चमक दूर से ही दिख रही थी। पढ़ाई की बदौलत कोई एयरफोर्स में चला गया तो कोई बड़ी-बड़ी प्राइवेट कंपनियों के काम का भार संभाल रहे है। इन विद्यार्थियों को जब मंच पर डिग्रियां मिली तो उनके चेहरे खिल उठे। यह मौका था शनिवार को छावनी के छावनी के गवर्नमेंट पीजी कॉलेज में आयोजित दीक्षांत समारोह का।
सात साल बाद हुए आठवें दीक्षांत समारोह में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज बतौर मुख्यातिथि के रूप में शामिल रहे। सरस्वती मां की प्रतिमा के समक्ष माथा टेककर व परिसर में पौधरोपण के बाद उन्होंने समारोह की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि संस्कार रहित शिक्षा कभी भी समाज व देश के हित में नही हो सकती। बेहतर शिक्षा प्रणाली वहीं हो सकती है, जिसमें युवाओं को देश की संस्कृति व मिट्टी से जोड़ने के गुणनिहित हुए हों। कॉलेज में दोबारा समारोह के माध्यम से मिले विद्यार्थियों ने एक-दूसरे से अपने अनुभव सांझा किए। पुराने शिक्षकों से भी मिलकर खुशी से फूले नहीं समाए। कॉलेज प्राचार्य डॉ. पूनम वत्स ने कॉलेज की वार्षिक रिपोर्ट पढ़कर सुनाई और मंत्री अनिल विज के समक्ष कॉलेज में बड़ी लाइब्रेरी और सोलर पैनल लगवाने की मांग। इस मौके पर एसडीएम सुभाष चंद्र सिहाग, डीएसपी अनिल कुमार, तहसीलदार राजेश पूनिया, प्रो. आरडी, आरके मेहरा, जागे राम, प्रो. देशवाल, अजीत ¨सह, बल¨वद्र ¨सह, प्रो. गुरदेव ¨सह आदि मौजूद रहे।
इन्हें मिला मेहनत का फल
आठवें दीक्षांत समारोह में 425 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की। इनमें से 180 डिग्रियां एमएससी कंप्यूटर साइंस, एमकॉम, एमए इतिहास, एमए अर्थशास्त्र, एमए अंग्रेजी, ¨हदी व पंजाबी के विद्यार्थियों को प्रदान की गई, जबकि स्नातक स्तर की 245 डिग्रियां बीए, बीकॉम, बीएससी, बीसीए और मास कम्युनिकेशन के विद्यार्थियों को प्रदान की। डिग्रियां हासिल करने वाले विद्यार्थी भारतीय वेशभूषा में डिग्रियां लेने आए थे, जबकि कॉलेज स्टाफ भी भारतीय वेशभूषा में ही नजर आया। फोटो- 23
अपने शहर में रोजगार की राह मुश्किल
पढ़ाई के साथ ही लक्ष्य को तय कर चलना बेहद जरुरी है। सही समय पर लिया गया निर्णय ही उन्हें जीवन में सफलता की ओर ले जा सकता है। वह खुद गुरुग्राम के अंदर आइटी कंपनी में बतौर साफ्टवेयर के पद पर है। मगर वहां तक पहुंचने की राह काफी कठिनाई भरी रही है। लोकल स्तर पर रोजगार के रास्ते बेहद कम है।
मोनिका चौहान, एमएससी कंप्यूटर साइंस। फोटो- 24
बेहतर भविष्य से जा पड़ा रहा घर से दूर
अगर पढ़ाई के बाद अच्छा रोजगार पाना है तो अपने शहर में विकल्प बेहद कम हैं। बेहतर भविष्य के लिए दूसरे शहरों की ओर रूख करना पड़ता है। वह खुद मोहाली में वेब डिजाइ¨नग कर रही है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि वह युवाओं को अपने शहर में रोजगार के लिए काम करें। तभी सुधार होगा।
कर्मजीत, एसएससी कंप्यूटर सांइस।
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अपनी फील्ड को छोड़ने को मजबूर छात्र
प्रदेश में नई नौकरी चलाई जाए। रोजगार के अवसर पैदा हों, जिससे लोगों को अपने क्षेत्र में ही रोजगार के अवसर मिल सके। आजकल देखा जा रहा है कि युवा अपने फील्ड से भटककर केवल रोजगार के लिए दूसरे फील्ड में काम करने में जुट जाते है। ऐसे में वह केवल पैसा कमाने में लगे रहते हैं। इस ओर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
कंवलजीत, बीकॉम
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कॉलेज कैंपस से ही मिले रोजगार
कॉलेज में आकर छात्र शिक्षा तो ग्रहण कर लेते है और डिग्री भी मिल जाती है। जैसा वह चाहते है उन्हें रोजगार ही नहीं मिला पाता। सरकार के गवर्नमेंट कॉलेजों के अंदर प्राइवेट कंपनियों या फिर सरकारी जॉब के अंदर ही जाब प्लेसमेंट की ओर विशेष जोर देना चाहिए। छात्र को पढ़ाई के साथ ही कंपनियों में रोजगार मिल सकें।
पूजा रानी, एमए, इकोनॉमिक्स।