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Lock down के कारण 32 लाख टिकट रद, फिर भी रेलवे ने कमाए साढ़े चार करोड़ रुपये

कोरोना वायरस के कारण काफी संख्‍या में यात्रियों ने ट्रेन टिकट कैंसिल करा रहे हैं। अब तक 32 लाख टिकट रद हाेने का अनुमान है। इसके बावजूद रेलवे ने साढ़े चार करोड़ रुपये कमाए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 15 Apr 2020 01:58 PM (IST)Updated: Wed, 15 Apr 2020 01:59 PM (IST)
Lock down के कारण 32 लाख टिकट रद, फिर भी रेलवे ने कमाए साढ़े चार करोड़ रुपये
Lock down के कारण 32 लाख टिकट रद, फिर भी रेलवे ने कमाए साढ़े चार करोड़ रुपये

अंबाला, [दीपक बहल]। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पाेरेशन (आइआरसीटीसी) के माध्यम से 30 अप्रैल तक देशभर में बुक की गई करीब 32 लाख रेल टिकटें अब लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के कारण रद होंगी। इतनी बड़ी संख्या में टिकट रद होने के बावजूद रेलवे की झोली में करीब 4.50 करोड़ रुपये आएंगे। यह राशि वह है, जिस रेलवे प्रत्येक टिकट पर सुविधा शुल्क के नाम पर वसूल करता है और टिकट रद होने पर वापस नहीं करता है। हालांकि, टिकट रद होने पर ली जाने वाली राशि न मिलने पर रेलवे को अरबों रुपयों का आर्थिक नुकसान भी होगा।

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रेलवे को टिकट रद होने के सुविधा शुल्‍क से होगी यह आमदनी

बता दें कि 14 से 30 अप्रैल तक उत्तर रेलवे के 21.17 लाख यात्रियों ने आइआरसीटीसी की वेबसाइट से टिकटें बुक करवाई थीं। इनका देशभर का आंकड़ा देखें तो यह करीब 32 लाख बैठ रहा था। एक टिकट पर अधिक से अधिक छह यात्री की बुकिंग है। रेलवे ने इस बात की भी तैयारी कर ली थी कि यदि ट्रेनों का संचालन आरंभ हुआ तो सभी यात्रियों को मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया जाएगा। साथ ही स्टेशनों पर यात्रियों को कैसे सैनिटाइज किया जाए, ट्रेनों में भीड़ अधिक न हो, इसको लेकर विचार-विमर्श जारी था।

इसी बीच 3 लाख 38 हजार रेल यात्रियों ने कोरोना के कारण खुद ही प्रोग्राम बदलकर टिकट रद करवा दिया था। उत्तर रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार का कहना है कि टिकटें रद होने के बाद लिया गया सुविधा शुल्क वेबसाइट और अन्य खर्चे होने के कारण नहीं लौटाया जाता।

ऐसे लिया जाता है सुविधा शुल्क

आइआरसीटीसी के माध्यम से जब भी यात्री टिकट बुक करवाता है तो उससे सुविधा शुल्क लिया जाता है। स्लीपर हो या फिर एसी। क्लास के साथ-साथ सुविधा शुल्क भी बढ़ता है। यह राशि मूल किराये से अलग होती है। एसी क्लास में प्रत्येक टिकट 30 रुपये सुविधा शुल्क लिया जाता है। इसे लेने के पीछे रेलवे का तर्क है कि वेबसाइट और बैंक से लेन-देन होता है।

आइआरसीटीसी के पास यात्री के टिकट बुक का किराया बैंक के माध्यम से आता-जाता है। ऐसे कईं खर्चे इसी सुविधा शुल्क से पूरे होते हैं। लॉकडाउन से पहले की बात करें तो 15 मार्च को 300870 टिकटें यात्रियों ने रद कराई। इन यात्रियों को 23 करोड़ 54 लाख 62 हजार 374 रुपये वापस किए थे।

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