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डायलिसिस को पहुंचे बुजुर्ग को खून चढ़ाने से हुआ संक्रमण

नागरिक अस्पताल में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर संचालित होने वाले डायलिसिस विग में मरीज के साथ गंभीर लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 06:28 AM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 06:28 AM (IST)
डायलिसिस को पहुंचे बुजुर्ग को खून चढ़ाने से हुआ संक्रमण
डायलिसिस को पहुंचे बुजुर्ग को खून चढ़ाने से हुआ संक्रमण

जागरण संवाददाता, अंबाला : नागरिक अस्पताल में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर संचालित होने वाले डायलिसिस विग में मरीज के साथ गंभीर लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है। अधोया निवासी बुजुर्ग नरेश की तबीयत बिगड़ने पर बेटा नवीन उसे छावनी अस्पताल में लेकर पहुंचा। जांच के बाद चिकित्सकों ने रक्त चढ़ाने का परामर्श दिया। ब्लड बैंक से रक्त की व्यवस्था हुई और मात्र आधे घंटे में ही तकनीशियन ने दो यूनिट खून चढ़ा दिया। मरीज को आराम तो मिल गया, लेकिन घर पहुंचते ही शरीर में संक्रमण फैलने लगा। आनन-फानन में स्वजन नरेश कुमार को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे। निजी अस्पताल और मुलाना मेडिकल कालेज में चिकित्सकों ने 20 दिनों तक आइसीयू में रखने के बाद किसी तरह बुजुर्ग की जान बचाई।

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अब मरीज के बेटे नवीन शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री से लेकर अन्य उच्चाधिकारियों तक इसकी शिकायत की है। शिकायत के बाद हरकत में आए प्रिसिपल मेडिकल अधिकारी डा. राकेश सहल ने मामले की जांच के लिए सीनियर मेडिकल अधिकारी की अध्यक्षता में टीम का गठन करते हुए तकनीशियन को छुट्टी पर भेज दिया।

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तकनीशियन राहुल ने चढ़ाया था रक्त

चिकित्सकों की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि 24 जनवरी 2021 रविवार को डायलिसिस विग में डा. डीपी सिंह अवकाश पर थे। इसी दौरान तबीयत बिगड़ने पर अपने बुजुर्ग पिता को लेकर बेटा और स्वजन अस्पताल लेकर पहुंचे थे। राहुल ने ही मरीज को दो यूनिट ब्लड चढ़ाया था। नागरिक अस्पताल छावनी में डायलिसिस विग संचालित करने वाली डीसी टीसी क्रीमी केयर संस्था की चार सदस्यों की सर्विलांस टीम ने तकनीशियन राहुल कुमार का बयान लिया है।

----------- पीड़ित परिवार ने ठोका हर्जाने का दावा

नवीन शर्मा ने शिकायती पत्र में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई के अलावा निजी अस्पताल में इलाज पर हुए खर्च का हर्जाना ठोका है। नवीन का कहना है कि जब डाक्टर नहीं थे तो किसी मरीज के साथ इतनी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। ऐसे में तो पापा की जान भी जा सकती थी।


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