विज का कड़ा रुख, डीजीपी विजिलेंस से पूछा - किस अफसर ने दबाई फाइल, कार्रवाई कर रिपोर्ट दो
अंबाला छावनी से सटे करधान गांव में करीब 115 एकड़ शामलात जमीन घोटाले में फंसे अफसरों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
दीपक बहल, अंबाला
अंबाला छावनी से सटे करधान गांव में करीब 115 एकड़ शामलात जमीन घोटाले में फंसे अफसरों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने विजिलेंस के महानिदेशक को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने और इसकी फाइल लटकाने वाले विजिलेंस अफसरों के नाम पूछे हैं। फाइल दबाने वाले अफसरों के खिलाफ विज ने कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
करीब पांच साल तक इस मामले की जांच रिपोर्ट एक टेबल से दूसरी टेबल तक घूमती रही। जब इसमें डीसी रैंक के अधिकारी और तहसीलदार फंसते नजर आए तो फाइल को ही दबा दिया गया। विज ने इस मामले में कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं, ताकि नियमों के मुताबिक जमीन वापस ली जा सके। विज के एक्शन के बाद भूमि घोटाले में धूल फांक रखी फाइलों में हलचल होगी। दैनिक जागरण की खबर पर संज्ञान लेते हुए विज ने यह एक्शन लिया है।
उल्लेखनीय है कि करधान गांव की शामलात जमीन का मामला जिले के कलेक्टर एवं डीसी के पास विचाराधीन था। इस बीच भू-माफियों ने करोड़ों रुपयों की जमीन रजिस्ट्रियां करवा दी। अंबाला छावनी तहसील से सेटिग कर भूमि घोटाला किया गया। डीसी को फाइनल करना था कि शामलात जमीन का हिस्सेदारी की जानी है या नहीं। बावजूद आनन-फानन में रजिस्ट्रियां होने लगी थीं। एडीसी ने जांच में पाया सन 2010 से लेकर 2014 तक जमीन की रजिस्ट्रियां की गई थीं। सन 2011 से 2013 के बीच में कोई रजिस्ट्री नहीं हुई। 16 अगस्त, 2010 को पहली रजिस्ट्री रजिस्ट्री कराई थी। इसके अंत में 18 सितंबर, 2014 को रजिस्ट्री कराई। कुल 24 रजिस्ट्रियां की गई।
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अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखा था
दैनिक जागरण ने 26 अक्टूबर के अंक में डीसी-तहसीलदार फंसता देख विजिलेंस ने दबाई फाइल 115 एकड़ जमीन मिली न अफसरों की जिम्मेदारी तय शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसमें बताया था कि किस तरह से यह घोटाला किया गया और बड़े अधिकारी फंसते देखे तो मामले की फाइल तक दबा दी गई। एडीसी की जांच में स्पष्ट हो चुका था कि 24 रजिस्ट्रियां नियमों को ताक पर रखकर की गई हैं, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इतना बड़ा घोटाला होने के बाद भी न तो जमीन ही वापस ली गई और न ही किसी अफसर की जिम्मेदारी तय की गई।
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दैनिक जागरण ने उठाया था मामला
दैनिक जागरण ने फरवरी 2015 में मामला उठाया था। जागरण की खबरों पर संज्ञान लेते हुए अंबाला मंडल की आयुक्त रहीं नीलम कासनी ने डीसी से जवाब-तलब किया था। इसके बाद एडीसी को जांच सौंप दी गई। सन 2016 में इस घोटाले की जांच के बाद सच सामने आ गया था। हालांकि, एडीसी की जांच में कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं, उनके नामों और रैंक का खुलासा नहीं किया गया था। अब फाइल विजिलेंस के पास दबी पड़ी है।
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छह-छह एकड़ की कई रजिस्ट्रियां करवा दी गई
शामलात जमीन में कुछ लोगों की भी जमीन के टुकड़े थे। कौन-कौन सा हिस्सा किस-किस जमींदार का है इसका पता नहीं था। इसका न तो कोई रिकॉर्ड था और न ही जमीन के कागजों के बारे में किसी को जानकारी थी। अधिकारियों से मिलीभगत कर छह-छह एकड़ की कई रजिस्ट्रियां करवा दी गई। बताया जाता है कि रजिस्ट्री करवाने से पूर्व असली जमाबंदी का रिकॉर्ड खुर्द-बुर्द किया गया, जिसके बाद नया रिकॉर्ड तैयार कर रजिस्ट्रियां कर दी गई।
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यह होती है शामलात जमीन
गाव में तीन तरह की जमीन होती है। गांव के लाल डोरे के अंदर की वह जमीन जो नंबर की नहीं होती है। परंतु पंचायत की ओर से रखी गई होती है। उसे शामलात भूमि कहा जाता है। पंचायत जरूरत पड़ने पर इस जमीन का इस्तेमाल करती है। प्रदेश सरकार की ओर से जो 100-100 गज के प्लाट गरीबों को दिए गए हैं वो इसी जमीन में से आवंटित किए गए हैं।
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आठ प्रकार की है शामलात भूमि
शामलात भूमि के अंतर्गत शामलात ठोला, शामलात पती, शामलात पाना, शामलात तर्फ, शामलात देह, शामलात जुमला मुस्तरका मालकान, शामलात हसब रसद जर खेवट आती हैं। उपरोक्त प्रकार की भूमि 1959-60 में हुए इस्तेमाल(किलेबंदी) से पहले असल मालिकों के पास थी। यह भूमि इन भू-मालिकों से पंचायत के सामूहिक कार्यो, जोहड़, स्कूल आदि संबंधी उपयोग के लिए ली गई थी। बाद में इस भूमि को पंचायत की ही माना गया।
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वर्जन
डीजीपी विजिलेंस को इस मामले में सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। भूमि घोटाले की फाइल दबाने वाले अधिकारियों के नाम भी चिन्हित कर कार्रवाई के लिए कहा गया है।
- अनिल विज, गृह मंत्री हरियाणा