Move to Jagran APP

रेहड़ी के ड्रा में भी घपलेबाजी

इन दिनों रेहड़ी वालों को शिफ्ट करना नगर परिषद के लिए मुश्किल बना हुआ है। एक तो भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं तो दूसरी ओर लगता नहीं कि सभी रेहड़ी वालों को जगह मिल पाएगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 06:18 AM (IST)
रेहड़ी के ड्रा में भी घपलेबाजी
रेहड़ी के ड्रा में भी घपलेबाजी

इन दिनों रेहड़ी वालों को शिफ्ट करना नगर परिषद के लिए मुश्किल बना हुआ है। एक तो भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, तो दूसरी ओर लगता नहीं कि सभी रेहड़ी वालों को जगह मिल पाएगी। एक बार तो ड्रा को रद करना पड़ गया, जबकि बाद में निकाले गए ड्रा पर भी भ्रष्टाचार के आरोप तक रेहड़ी संचालकों ने लगा डाले। नगर परिषद ने भी अधूरी तैयारी के साथ इस योजना को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया। पहले ड्रा में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। अब तो रेहड़ी संचालकों ने यहां तक कह दिया कि यह ड्रा अफसर निकालेंगे या फिर एक पार्टी के नेता। फिर क्या था, रेहड़ी संचालक तो विरोध करते सीधे बाहर आ गए। अब दूसरी बड़ी समस्या यह आने वाली है, जिनको बाजारों से हटाने की तैयारी है, लेकिन नगर परिषद के पास इनके लिए जगह नहीं है। देखते हैं अब इसमें क्या होगा।

loksabha election banner

----------------------

देखते हैं रिजल्ट कितना सुधरेगा

शिक्षा सत्र का अंतिम दौर है और विद्यार्थियों के साथ टीचर्स की भी परीक्षा है। साल भर क्लर्की करते रहे टीचर्स अब दबाव बेहतर रिजल्ट देने का है। बड़े साहब भी इसकी मॉनीटरिग करने में लगे हैं। कुछ ऐसे स्कूल भी चुने गए हैं, जहां पर फोकस ज्यादा किया जा रहा है। चर्चा यह चल रही है कि शिक्षा विभाग को कथित रूप से प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है। ऐसे में शिक्षण कार्य के साथ-साथ अन्य कार्य लिया जाना परिणाम तो प्रभावित करेगा ही। लेकिन बड़े साहब की मॉनीटरिग के बाद गुरु जी भी टेंशन में हैं कि कहीं रिजल्ट खराब रहा तो क्या होगा। इसी को लेकर इन दिनों गुरुजी पूरी तरह से परीक्षा की तैयारियों में जुट गए हैं और कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अब देखते हैं कि सरकारी स्कूलों का रिजल्ट इस बार क्या रहता है और खराब परिणाम पर क्या कार्रवाई होती है।

------------------

यहां सरेंडर कर चुकी है पुलिस

जब से नागरिक अस्पताल अंबाला छावनी नए रूप में सामने आया है, अस्पताल के गेट पर यातायात के हालात बदतर हो चुके हैं। एसएचओ तक यहां पर गाड़ी लगाकर चालान काट चुके हैं, लेकिन अभी सुधार तक नहीं हो पाया है। अंबाला-जगाधरी नेशनल हाईवे पर ही इस अस्पताल के गेट के सामने डिवाइडर तक तोड़ दिया है, लेकिन प्रशासन को यह नजर नहीं आ रहा है। यहां पर कर्मचारी की तैनात भी है ताकि जाम की स्थिति न बने। लेकिन हालात देखकर लगता है कि पुलिस भी यहां पर सरेंडर कर चुकी है। यहां पर तैनात कर्मचारी कुछ देर तक तो यातायात को कंट्रोल करने की कोशिश करता है, लेकिन जब हालात बेकाबू हो जाते हैं, तो वह भी हार मान लेता है और यातायात व्यवस्था को उसके हाल पर छोड़ देता है। यहां पर आने वाहन चालक तो यहां तक कहते हैं रोजाना चालान कटे तो बात बने।

------------------

फाइलों से बाहर नहीं आ रहा बैंक स्कवायर

सौ करोड़ रुपये का बैंक स्कवायर फाइलों से ही बाहर नहीं आ पा रहा है। तीन बार टैंडर रद हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इस पर काम ही शुरु नहीं हो पाया है। लोग भी कह रहे हैं कि आखिर कब यह प्रोजेक्ट शुरु होकर कंपलीट होगा और छावनी के बाजारों से ट्रैफिक का बोझ कम होगा। लेकिन हार बार मायूसी ही सामने आ रही है। सबसे पहले चारदीवारी हुई और प्रोजेक्ट ही लटक गया। इसके बाद किसी तरह से फाइल हिली और मामला टेंडर तक पहुंचा। यहां पर भी मामला कागजों में ही उलझ गया और टैंडर रद हो गया। बार-बार यही हुआ और अभी तक यह फाइनल नहीं हो पाया है। इस प्रोजेक्ट का सारा खाका तैयार है, लेकिन कागजी प्रक्रिया कुछ ऐसी रही कि हर बार टेंडर रद हुआ और मामला वहीं का वहीं ठहरा हुआ है। कुछ तो प्रोजेक्ट को लेकर संशय में हैं। प्रस्तुति : कुलदीप चहल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.