भगवान वामन ने की नौरंगराय तालाब की परिक्रमा, मंदिरों में विराजमान हुए हिडोले
शहर की पुरानी अनाज मंडी में दिन भर कीर्तन हुआ और लोगों ने माथा टेककर मन्नतें मांगी। शाम को शोभा यात्रा शुरू हो गई। शोभायात्रा में बैंडवालों की धुन पर झांकियों ने प्रस्तुति दी।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: शहर का सबसे बड़ा प्राचीन वामन द्वादशी मेला आस्था का केंद्र बना रहा। रात करीब 12 बजे भगवान वामन के हिडोले नौरंगराय तालाब पर पहुंचे। जहां बांस से तैयार किए बेड़े पर सवार होकर भगवान वामन ने सरोवर की परिक्रमा की। खास बात यह थी कि इस बेड़े को किसी मोटर से नहीं बल्कि श्रद्धालुओं ने खुद पानी में तैर कर खींचा और बेड़े पर आरती की गई। इसके बाद हिडोले पांचों मंदिरों में विराजमान हो गए।
शहर की पुरानी अनाज मंडी में दिन भर कीर्तन हुआ और लोगों ने माथा टेककर मन्नतें मांगी। शाम को शोभा यात्रा शुरू हो गई। शोभायात्रा में बैंडवालों की धुन पर झांकियों ने प्रस्तुति दी। शोभायात्रा में जहां विभिन्न देवी-देवताओं की झांकियां मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी, वहीं भजनों पर कलाकारों के नृत्य ने समां बांध दिया।
यह शोभयात्रा पुरानी अनाज मंडी पंडाल, तंदूरा बाजार, कोतवाली बाजार, सर्राफा बाजार, पुराना सिविल अस्पताल, बड़ा ठाकुर के पास नौरंगराय तालाब पर पहुंची। श्रद्धालु पांचों हिडोलों को पैदल अपने कंधों पर लेकर चले। जिनमें एक बड़ा ठाकुरद्वारा, दूसरा हिडोला राधेश्याम मंदिर, तीसरा और चौथा हिडोला कलाल माजरी स्थित खेड़े के पास से और पांचवां हिडोला नौहरिया मंदिर का रहा। इस नजारे को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग तालाब पर जुट रहे और भगवान वामन के जयकारे लगाते रहे। मंगलवार को सुबह से ही अनाज मंडी में लगे विशाल पंडाल में भगवान वामन के दर्शनों के लिए भक्तों की जबरदस्त भीड़ उमड़ी रही। आलम यह था कि भगवान के हिडोलों में विराजमान रूप के दर्शन के लिए भक्तों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ा। दोपहर तक यही दौर चलता रहा और कीर्तन भी जारी रहा। दोपहर बाद पंडाल से नौरंग राय तालाब तक भव्य शोभायात्रा की तैयारी की गई और शोभायात्रा की शुरुआत की गई। मेले में काफी दूर-दूर से भक्तों ने आकर यहां मेले का आनंद उठाया है।
-जगह-जगह पुलिस रही तैनात
शहर की पुरानी अनाजमंडी से लेकर नौरगराय तालाब तक पुलिस की सख्त निगरानी रही। व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।