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स्मार्ट कैंटोनमेंट बोर्ड के विकास में पुराने अधिनियम रोड़ा

करीब 55 हजार की आबादी अंग्रेजों के समय से चले आ रहे कानूनों में उलझ कर रह गई है। इसके अलावा बोर्ड क्षेत्र की जनता संपत्तियों के हस्तांतरण ओल्ड ग्रांट या पट्टे की जमीन और पट्टे की संपत्तियों को फ्री होल्ड करने समेत अन्य मामले झेलने पड़ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 08:26 AM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 08:26 AM (IST)
स्मार्ट कैंटोनमेंट बोर्ड के विकास में पुराने अधिनियम रोड़ा
स्मार्ट कैंटोनमेंट बोर्ड के विकास में पुराने अधिनियम रोड़ा

जागरण संवाददाता, अंबाला : स्मार्ट कैंटोनमेंट बोर्ड छावनी के विकास में पुराने अधिनियम के साथ-साथ प्रतिबंधित रोड और प्रापर्टी की म्यूटेशन बहुत बड़ी बाधा हैं। करीब 55 हजार की आबादी अंग्रेजों के समय से चले आ रहे कानूनों में उलझ कर रह गई है। इसके अलावा बोर्ड क्षेत्र की जनता संपत्तियों के हस्तांतरण, ओल्ड ग्रांट या पट्टे की जमीन और पट्टे की संपत्तियों को फ्री होल्ड करने समेत अन्य मामले झेलने पड़ रहे हैं।

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बोर्ड की जनता ने छावनी कैंटोनमेंट बोर्ड के स्मार्ट कैंटोनमेंट बनने पर सपना संजोया था कि उन्हें कुछ राहत मिलेगी। लेकिन स्मार्ट कैंटोनमेंट बनने के बाद पानी, बिजली और टायलेट की सुविधा में तो सुधार आया है लेकिन छावनी अधिनियम, 1924 में भी केंद्र सरकार कोई संशोधन नहीं कर पाई है जिसकी बोर्ड क्षेत्र में रहने वाली आबादी को आवश्यकता है। इस अधिनियम के तहत ही बोर्ड का प्रशासनिक कार्य होता है। आज भी कैंटोनमेंट बोर्ड के अंदर सीईओ को छोड़ कर बाकी किसी भी अधिकारी ट्रांसफर नहीं होती। बोर्ड के उपाध्यक्ष अजय बवेजा की मानें तो छावनी अधिनियम, 1924 को अंग्रेजों ने अपने मुताबिक बनाया था जिसमें साल 2006 में मामूली से संसोधन हुए जिससे आम जनता को कोई फायदा नहीं मिला। उन्होंने कहा कि बोर्ड के उपाध्यक्ष का प्रतिनिधि मंडल रक्षा मंत्री से मिल चुका है और दोबारा से मिलेगा ताकि अधिनियम में बदलाव हो। उन्होंने कहा कि स्मार्ट कैंटोनमेंट के बाद जनता को बिजली और पानी जैसी सुविधाएं मुहैया कराई हैं।

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खेती और पशुपालन है व्यवसाय

बोर्ड के क्षेत्र में सिविलियंस के करीब 400 परिवार है जो करीब 160 बरसों से यहां पर रहे हैं। बोर्ड की पट्टे की जमीन पर यह फूल-सब्जियों के साथ-साथ पशुपालन करते हैं। पहले यह परिवार सेना की जरूरत का सामान उगाता थे लेकिन आजादी के बाद यह अपनी सब्जियों और दूध को अपनी मर्जी से कहीं पर बेच सकते हैं। लेकिन कुछ परिवार है जिन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर कार्रवाई हुई है और करीब छह हजार लोग बोर्ड क्षेत्र से बाहर हो चुके हैं। सरकार ने लोगों की जमीन की 86 करोड़ में जमीन खरीदने की सहमति व्यक्त कर चुकी है ताकि यह एरिया राज्य सरकार के अधीन हो सके।

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माल रोड हुआ बंद

कैंटोनमेंट बोर्ड का माल रोड सेना ने बंद कर दिया है। सेना इस रोड के 500 मीटर के हिस्से से किसी को आने-जाने नहीं देती। बोर्ड के उपाध्यक्ष की मानें तो रक्षा मंत्रालय के आदेशों पर पहले कई सड़कों को खोला गया था। लेकिन सेना ने अब दोबारा से इस रोड को बंद कर दिया है जिसके खिलाफ उनकी लड़ाई जारी है। बोर्ड के यदि एरिया की बात करें तो छावनी 8,100.49 एकड़ में फैली हुई है और 2011 की जनगणना के अनुसार, सैनिकों सहित 55,370 घर हैं।


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