सीज कर दिया गया ट्रामा सेंटर, सुबह पांच बजे तक काटे गए एमएलआर
सेंट्रल जेल से जब ट्रामा सेंटर में घायल बंदी पहुंचे तो पूरे ट्रामा सेंटर को सीज कर दिया गया ताकि कोई भाग न सकें। लेकिन इससे मरीजों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ी। रात आठ बजे आन ड्यूटी पहुंची डॉक्टर दीपिका गर्ग और सोनल ने रात साढ़े 10 बजे तक वह 72 आपतकालीन मरीजों को देख चुकी थीं। लेकिन 20 बंदियों के आने के बाद केवल 6 मरीज ही डाक्टर चेक कर पाए। इस तरह बंदियों के कारण ट्रामा सेंटर में इमरजेंसी में आए मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: सेंट्रल जेल से जब ट्रामा सेंटर में घायल बंदी पहुंचे तो पूरे ट्रामा सेंटर को सीज कर दिया गया ताकि कोई भाग न सकें। लेकिन इससे मरीजों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ी। रात आठ बजे आन ड्यूटी पहुंची डॉक्टर दीपिका गर्ग और सोनल ने रात साढ़े 10 बजे तक वह 72 आपतकालीन मरीजों को देख चुकी थीं। लेकिन 20 बंदियों के आने के बाद केवल 6 मरीज ही डाक्टर चेक कर पाए। इस तरह बंदियों के कारण ट्रामा सेंटर में इमरजेंसी में आए मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
इस तरह चला पूरा घटनाक्रम
बृहस्पतिवार शाम करीब 6 बजकर 10 मिनट पर सेंट्रल जेल में भूप्पी राणा और लॉरेंस गैंग में गैंगवार हुई। करीब एक घंटे तक दोनों गैंग में जमकर खून-खराबा हुआ। 8:25 मिनट पर ट्रामा सेंटर में आरएमओ के पास सेंट्रल जेल सुपरीटेंडेंट लखबीर सिंह का फोन आया। कहा, जेल में जघन्य अपराधों में शामिल बंदियों में टकराव हो गया है। इसीलिए तीन डाक्टरों को तुरंत जेल में भेज दें। क्योंकि बंदियों की संख्या भी ज्यादा है। इस पर आरएमओ ने तर्क दिया कि ऐसा प्रावधान नहीं है। सेंट्रल जेल में दो मेडिकल अधिकारी पहले ही तैनात हैं। लखबीर सिंह ने जवाब दिया कि घायल बंदियों की संख्या ज्यादा है और वे जघन्य अपराधों में शामिल हैं। इसीलिए सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें ट्रामा सेंटर में लाना सही नहीं होगा। जवाब में आरएमओ ने कहा कि यदि वह डाक्टरों को भेज भी देते हैं और घायलों को गंभीर चोट लगी हैं, उनके सीटी स्कैन, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड व अन्य इलाज होना है तो भी तो उन्हें यही लाना होगा। इसीलिए गार्द के साथ घायलों को ट्रामा सेंटर भेज दीजिए । 9 बजकर 15 मिनट पर सेंट्रल जेल से मेडिकल अधिकारी साहिल ने आरएमओ को फोन किया। कहा कि सेंट्रल जेल में लड़ाई 60-70 बंदियों में हुई है लेकिन वह ट्रामा सेंटर में कुछ बंदियों को ही एमएलआर के लिए भेजेंगे। क्योंकि कुछ को ही गंभीर चोटें हैं। आरएमओ ने कहा कि एमएलआर सेंट्रल जेल से आप ही कांटे। 9:45 मिनट पर डॉक्टर साहिल सेंट्रल जेल से ट्रामा सेंटर में आते हैं। आरएमओ से कहते हैं कि उनके पास जेल में एमएलआर रजिस्टर नहीं है। आरएमओ ने कहा कि वह रजिस्टर उपलब्ध करवा देंगे। रात 10:15 बजे ट्रामा सेंटर के इंचार्ज आरएमओ को फोन कर कहते हैं कि एमएलआर यहीं काट दें। लेकिन आरएमओ यहां भी नियमों का हवाला देते हैं। इसके बाद ट्रामा सेंटर में ऑन ड्यूटी डाक्टर दीपिका गर्ग और सोनल से सेंट्रल जेल से आए मरीजों की एमएलआर काटने के आदेश दिए जाते हैं। यह दोनों डाक्टर भी नियमों का हवाला देती हैं लेकिन इसके कुछ देर बाद करीब साढ़े 10 बजे सेंट्रल जेल बंदी आने शुरू हो गए। बृहस्पतिवार-शुक्रवार रात करीब 12:15 मिनट पर ट्रामा सेंटर में एसएचओ बलदेव नगर और डीएसपी ट्रैफिक पहुंचते हैं। बाद में एक के बाद एक 20 बंदी लाए गए और शुक्रवार सुबह 5 बजे तक एमएलआर काटे गए। इसीलिए मरीज ट्रामा सेंटर में तड़पते रहे।
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मुलाजिमों को भी खाने पड़े एमएलआर के लिए धक्के
हद तो तब हो गई जब सेंट्रल जेल में हुए इस झगड़े में घायल मुलाजिमों को भी एमएलआर के लिए धक्के खाने पड़े। इन मुलाजिमों के भी कायदे से सेंट्रल जेल में ही एमएलआर कटनी चाहिए थी लेकिन सेंट्रल जेल में एमएलआर कटाना तो दूर पूरी रात और दोपहर तक इनका एमएलआर नहीं कटा। शुक्रवार दोपहर दो बजे वार्डर सुरेंद्र और वार्डर जरनैल ट्रामा सेंटर पहुंचे तब जाकर उनके एमएलआर काटे गए।