Move to Jagran APP

एयरफोर्स से सटे तीन गांव और कालोनियों में बसे हजारों आशियानों पर संकट

एयरफोर्स से सटे तीन गांव और कालोनियों में बसे हजारों लोगों के आशियानों पर संकट मंडरा गया है। बलदेव नगर की गांधी कॉलोनी ही नहीं बल्कि शाखा ग्राउंड और सुभाष नगर के अलावा गांव धूलकोट बरनाला और धनकौर में भी हजारों ऐसे मकान हैं जोकि एयरफोर्स स्टेशन की सीमा के साथ सटे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Jul 2019 10:25 AM (IST)Updated: Tue, 09 Jul 2019 10:25 AM (IST)
एयरफोर्स से सटे तीन गांव और कालोनियों में बसे हजारों आशियानों पर संकट
एयरफोर्स से सटे तीन गांव और कालोनियों में बसे हजारों आशियानों पर संकट

उमेश भार्गव, अंबाला शहर: एयरफोर्स से सटे तीन गांव और कालोनियों में बसे हजारों लोगों के आशियानों पर संकट मंडरा गया है। बलदेव नगर की गांधी कॉलोनी ही नहीं बल्कि शाखा ग्राउंड और सुभाष नगर के अलावा गांव धूलकोट, बरनाला और धनकौर में भी हजारों ऐसे मकान हैं जोकि एयरफोर्स स्टेशन की सीमा के साथ सटे हैं। करीब एक हजार से ज्यादा मकान और दुकान ऐसे हैं जोकि एयरफोर्स स्टेशन की सीमा से महज 5 फुट दूरी पर ही बसे हैं। जबकि व‌र्क्स ऑफ डिफेंस एक्ट 1903 के तहत एयरफोर्स स्टेशन के 100 मीटर दायरे में कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता। जबकि अंबाला में इन तीन गांव और बलदेव नगर एरिया में हजारों दुकान, मकान और फैक्ट्रियां तक बना दी गई।

loksabha election banner

------------------

सर्वे में पता चलेगा कितनों पर गिरेगी गाज

एयरफोर्स स्टेशन से 27 जून को रनवे से उड़ान भरने के बाद पक्षी से टकराए जगुआर के क्षतिग्रस्त की घटना के बाद एयरफोर्स के अधिकारियों ने इस मामले पर कड़ा संज्ञान लिया। इसके बाद 4 जुलाई को एयरफोर्स स्टेशन में इस मामले पर जिला प्रशासन के साथ फोर्स के अधिकारियों ने बैठक की। इसमें साफ तौर पर इन आशियानों को हटाने पर सहमति बनी। लेकिन इसके लिए पहले इन तीनों गांवों व तीनों कालोनियों के प्रतिनिधियों, निगम आयुक्त, एसडीएम और एसपी के प्रतिनिधियों की एक कमेटी का गठन होगा। इसके बाद सर्वे करवाया जाएगा कि 100 मीटर दायरे में कितने मकान और दुकान है। इसी सर्वे के बाद आगे की कार्रवाई तय होगी। माना जा रहा है कि इस एरिया में करीब 10 हजार मकान और दुकान बन चुके हैं जिनपर कार्रवाई होनी है।

----------------------------

अफसरों की लापरवाही के चलते छिनेगी जनता के सिर से छत

इन मकान और दुकान मालिकों के पास न केवल अपनी रजिस्ट्री हैं बल्कि इनके नक्शे तक पास हो चुके हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब यह 100 मीटर दायरे में निर्माण नहीं हो सकता तो अधिकारियों ने किस आधार पर रजिस्ट्री की और उसके बाद निगम ने क्यों बिना सोचे समझे नक्शे पास किए?

-----------------

1903 का एक्ट, 1972 में बसी गांधी कालेानी

बता दें कि एयरफोर्स स्टेशन के 100 मीटर दायरे में निर्माण नहीं हो सकता यह एक्ट 1903 में बना था। जबकि बलदेव नगर स्थिति गांधी कालोनी 1972 में बसी थी। इसी दौरान शाखा ग्राउंड और इनसे कुछ पहले सुभाष नगर बसा था। जबकि गांव बरनाला, धूलकोट और धनकौर इनसे काफी पुराने हैं। जो भी हो उस समय यह निर्माण नहीं हुआ था। एक्ट बनने के बावजूद इस दायरे में निर्माण और फिर नक्शे पास कैसे हुए इसका जवाब जिला प्रशासन के पास नहीं है।

--------------

इन मकानों और दुकानों गिर सकती है गाज

जूतों की फैक्ट्री, सबमर्सिबल पंप फैक्ट्री, निक्ल प्लांट, जिक प्लांट, आटा चक्की, ट्रांसपोर्ट आफिस, स्कूल आंगनबाड़ी, पोल्ट्री फार्म, गूगा माड़ी, नगर खेड़ा, शिव, दुर्गा व काली काली मंदिर, पीर की मजार, अशोका फैबरीगेशन समेत बहुत सी फैक्ट्री और दुकानें इसी 100 मीटर के दयारे में बनी हैं।

---------------------

हाईकोर्ट में कर चुकी है सख्त टिप्पणी

मोहाली एयर फोर्स और फरीदाबाद एयरफोर्स स्टेशन से सटे मकानों के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। इस केस में रक्षा मंत्रालय ने हाईकोर्ट को दिए हलफनामे में कहा था कि 100 मीटर के दायरे में बने मकानों को हटाने के लिए डीसी अधिकृत होंगे। रक्षा मंत्रालय के हलफनामे के आधार पर हाई कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण हटाने में डीसी को जिम्मेदारी निभानी होगी।

-------------------

1948 में हुआ था एयरफोर्स स्टेशन का निर्माण

अंबाला एयर फोर्स स्टेशन का निर्माण 1948 में किया गया था। यह नंबर 5 स्क्वार्डन आईएएफ और नंबर 14 स्क्वार्डन आईएएफ के स्पेक्ट जगुआर का घर भी है। हालांकि इसका विस्तार हाल ही के कुछ वर्षों में किया गया है। करीब चार साल पहले तक भी इसकी सीमा रेखा करीब आधा किलोमीटर तक पीछे थी। जो एयरफोर्स ने नियमानुसार विस्तार किया गया है।

----------------

मैं हैड टीचर रिटायर्ड हूं। 1972 में गांधी कालोनी में मैंने रजिस्ट्री करवाई थी। इस कालोनी को वैध करवाने तक के लिए हम सीएम को लिख चुके हैं। 30 साल पहले यहां केवल 23 मकान थे, अब करीब 350 मकान हैं। इनमें से कुछ के तो नक्शे तक पास हैं। कई बार अफवाहें फैलाई गई कि मकान गिराएंगे लेकिन आज तक हमें न तो नोटिस मिले न ही कोई कार्रवाई क्योंकि हम सही हैं।

धर्मपाल वशिष्ठ, प्रधान, गांधी कालोनी वेलफेयर सोसायटी।

-------------- 1978 में मैंने नक्शा भी पास करवा लिया था। बिजली निगम से रिटायर्ड जेई हूं। 1989 में सबसे पहले मेरा मकान बनकर तैयार हुआ था। तब एयरफोर्स की सीमा बहुत आगे हुआ करती थी। तीन बार में एयरफोर्स ने अपनी सीमा का विस्तार किया है। हमने फिर भी 5-6 फुट एरिया दीवार से छोड़ा है, रजिस्ट्री भी हमारे नाम है।

सतपाल घई।

------------- हमारे पास नक्शा भी है और रजिस्ट्री भी। जानबूझकर हमें परेशान किया जा रहा है। यदि हम गलत थे तो हमारे मकानों की रजिस्ट्री और नक्शे पास कैसे हो गए। हम इतने साल से बसे हैं पहले क्यों नहीं किसी ने कहा कि हम गलत हैं।

प्रीति।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.