माउंटेनिग वाली स्पोर्ट्स साइकिलों का बढ़ा क्रेज, कंधे पर उठा ले जा सकते हैं युवा
एक दौर था जब सिपल व लोहे की भारी भरकम साइकिलों का इस्तेमाल होता था। साइकिलों पर लोग अपनी दिनचर्या काम किया करते थे।
अंशु शर्मा, अंबाला
एक दौर था जब सिपल व लोहे की भारी भरकम साइकिलों का इस्तेमाल होता था। साइकिलों पर लोग अपनी दिनचर्या काम किया करते थे। उस समय बाइक व कार की कमी के कारण ज्यादातर इसका इस्तेमाल होता था। बीच में आधुनिक सुविधा बढ़ने पर साइकिल के प्रति लोगों का रूझान घटता जा रहा था। लेकिन बदलते समय के साथ एक बार फिर साइक्लिंग का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। इसका रूझान बढ़ने का मुख्य कारण है कि बाजारों में आने वाली माउंटेनिग वाली स्पोर्ट्स साइकिलें। इस तरह की साइकिलें केवल साइक्लिंग दौड़ में ही इस्तेमाल होती है। जो देखने में जितनी स्टाइलिश लगती है उतनी ही हल्की होती है। जिसे आसानी से कंधे पर भी उठाकर ले जाया जा सकता है। यहीं साइकिलें अब युवाओं के साइकिलिग के शौक के अलावा उन्हें भी स्टाइलिश बनाती है। लोहे की अपेक्षा यह साइकिल एल्युमीनियम फ्रेम में बनी होती है। जिस पर केवल अलग-अलग रंगों के पेंट के बाद स्टीकर नहीं होती। बल्कि ग्राफिक डिजाइन से तैयार किया जाता है।
बिना औजार के खोलकर ले जा सकते इधर-उधर
ये साइकिल दिखनी में जितनी स्टाइलिश है व सुंदर लगती है। उतनी ही एडवांस तकनीक से तैयार की गई है। पहले तो लोहे के साइकिलें होती थी जिन्हें अगर एक स्थान से दूसरे पर ले जाने के लिए या तो चलाकर ले जाना पड़ता था या फिर उसे कार की छत पर बांधकर ले जाना पड़ता था। अम्बा मार्केट के दुकानदार कमल चड्ढा ने बताया कि एल्युमीनियम व कार्बन फ्रेम में आनी वाली साइकिलों की कीमत भले ही ज्यादा हो, मगर इन्हें अब बिना किसी औजार के घर पर ही खोलकर अलग-अलग कर सकते हैं। अगर कहीं घूमने या माउंटेनिग करने जाता हो तो उसे काम के अंदर डालकर ले जा सकते हैं।
50 हजार तक कीमत में आ रही साइकिलें
साइक्लिंग का शौक इस कद्र बढ़ चुका है कि 10 या 20 हजार नहीं बल्कि 50 हजार रुपये तक की कीमत में भी साइकिल उपलब्ध है। जबकि इस कीमत के अंदर नई बाइक तक ला सकते हैं। इस साइकिल के आने से लोगों के नजरिए में भी काफी बदलाव आया है। कमल चड्ढा का कहना है कि 30 हजार रुपये से ज्यादा कीमत वाली साइकिल में सुविधाएं भी बढ़ती जाती है। जीपीएस सिस्टम स्टैंड के अलावा अन्य सुविधा भी उपलब्ध है। साइकिलिग के समय कोई परेशानी ना हो। शहरी क्षेत्र की अपेक्षा साइकिल का इस्तेमाल आर्मी एरिया में किया जा रहा है।
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