टैक्स चोरी में पांच फर्में फंसी, फर्जी ई-वे बिल पर 14 करोड़ की रिकवरी
अंबाला की पांच बड़ी फर्मों ने एक फर्जी फर्म से फर्जी ई-वे बिल पर 77 करोड़ रुपये का कारोबार सरकार दिखाकर 18 फीसद का इनपुट ले लिया।
अंबाला, [दीपक बहल]। यहां की पांच बड़ी फर्मों ने एक फर्जी फर्म से कारोबार दिखा 539 फर्जी ई-वे बिल पर सरकार से इनुपट अमाउंट ले लिया। इन्होंने 77 करोड़ रुपये का कारोबार सरकार से 18 फीसद का इनपुट ले लिया। कारोबारी जीएसटी का 18 फीसद इनपुट लेने के लिए फर्जी फर्म को पांच फीसद फर्जी फर्म को भुगतान करते थे। अब कर विभाग ने पकड़ में आई पांचों फर्मों पर 14 करोड़ रुपये की रिकवरी का नोटिस दिया है। उनपर जुर्माना भी लगाया जाएगा।
18 फीसद जीएसटी बिल लेने के लिए कारोबारियों ने पांच प्रतिशत दिए मास्टरमाइंड को
यह फर्जी फर्म रेलवे क्वार्टर के एक मकान के पते पर चल रही थी और करोड़ का कारोबार दर्शाने के बाद भी सरकार के खाते में राजस्व नहीं जमा कर रही थी। इस पर संदेह हुआ और जांच हुई तो फर्जी कारोबार और जीएसटी (गुड्स और सर्विर टैक्स) चोरी का पर्दाफाश हुआ। इस फर्जीवाड़े में अंबाला की पांच फर्मों सहित पंजाब की फर्में भी शामिल हैं। उनकी अलग से रिपोर्ट वहां के कर विभाग को भेजी गई है।
अब पांचों फर्मों पर 14 करोड़ रुपये की रिकवरी के साथ जुर्माने की भी लटकी तलवार
जांच में जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार धोखेबाजी के मास्टर माइंड ने पंजाब के गोबिंद गढ़ के रहने वाले प्रदीप को दस हजार रुपये दिए और उसका पैनकार्ड, आधार आदि दस्तावेज लेकर फर्जी फर्म मेसर्स प्रदीप का रजिस्ट्रेशन कराया। फर्म का पता उसने अंबाला छावनी के सरकारी आवास मकान नंबर 162ए, रेल विहार दिया। यह फर्म करोड़ों रुपयों का कारोबार कर रही थी, लेकिन सरकार के खजाने में फूटी कौड़ी नहीं आ रही थी।
यह देख आबकारी व कराधान अधिकारी अश्वनी सोनी जांच की तो रेल विहार में कोई फर्म ही नहीं थी। हो भी नहीं सकती थी, क्योंकि सरकारी मकान में खोली ही नहीं जा सकती थी। इसके बाद सदर थाना पुलिस ने प्रदीप के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस रिमांड के दौरान प्रदीप ने बताया कि उससे एक व्यक्ति ने दस हजार देकर उसका आधार और पैन कार्ड व अन्य दस्तावेज लिए थे। इसी फर्म से बिल लेकर सरकार से करोड़ों रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ ले लिया गया जबकि फर्म के पास न तो इनपुट टैक्स क्रेडिट है और न ही उसने खुद टैक्स जमा कराया। इसके एवज फर्जी फर्म वाले नटवर लाल से पांच प्रतिशत कमीशन देकर 18 फीसद भुगतान के बिल बनवा लिए।
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