एसआइटी ने डेयरियों की भूमि रिलीज करने की रिपोर्ट भेजी, आगे नहीं बढ़ी पुलिस की जांच
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर हुडा एवं नगर योजनाकार विभाग की एसआईटी ने कांहुडा एवं नगर योजनाकार विभाग की एसआईटी ने कांवला डेयरियों के मौजूदा हाल की रिपोर्ट तैयार कर सरकार से इस भूमि को रिलीज करने की सिफारिश भेजी है। इस रिपोर्ट में मौके पर 40 डेयरियों को चालू हालत में बताया गया है और यहां
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
हुडा एवं नगर योजनाकार विभाग की एसआईटी ने कांवला डेयरियों के मौजूदा हाल की रिपोर्ट तैयार कर सरकार से इस भूमि को रिलीज करने की सिफारिश भेजी है। इस रिपोर्ट में मौके पर 40 डेयरियों को चालू हालत में बताया गया है और यहां 8 गलियों, ट्यूबवेल व पानी की पाइप लाइन की भी जानकारी रिपोर्ट में दी गई है। भूमि के डि-नोटिफिकेशन के बाद ही भूमि रिलीज होकर नगर निगम के पास जाएगी और कांवला डेयरी कांप्लेक्स के प्लाट धारक अपनी रजिस्ट्रियां करा सकेंगे। वहीं, बिना मलकीयत की जांच किए डेयरी कांप्लेक्स प्रोजेक्ट के नाम पर 1 करोड़ 55 लाख 17 हजार 395 रुपये की रकम नगर निगम के बजाय ग्राम पंचायत कांवला के खातों में डालने व फिर 9 साल तक पैसा वापस नहीं लेकर हीलाहवाली करने वाले भूमि अर्जन अधिकारी व अन्य के खिलाफ 8 जून को दर्ज मामले में पुलिस जांच के नाम पर लटकाए हुए है। पहले तीन माह मॉडल टाउन चौकी ने तो करीब एक माह से आर्थिक अपराध शाखा इस मामले की जांच कर रही है। हालांकि, अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं की गई है। कहीं न कहीं इस मामले में फंसे लोगों को और मौके दिए जा रहे हैं।
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कब्जा मिलने के बाद भी नहीं हो पाई रजिस्ट्रियां
- शहर से डेयरियां शिफ्ट करने के उद्देश्य से तत्कालीन नगर परिषद ने सन 2003 में 74 कनाल 17 मरले जमीन अधिग्रहण कर सन 2007 में डेयरी संचालकों को कब्जा दे दिया। इसके बाद भू-माफिया व अफसरों ने ऐसा खेल खेला कि 11 साल बाद भी यहां न तो डेयरी प्लॉटों की रजिस्ट्रियां ही हो पाई हैं और न जरूरी सुविधाएं ही मिल पाई। जिसके चलते 69 में से महज 40 डेयरियां ही यहां विकसित हो पाई हैं। जिससे अभी भी शहर के भीतरी हिस्सों में करीब 60 डेयरियां चल रही हैं। अलबत्ता, लंबी जांच एवं प्रशासन की सिफारिश के बाद बलदेव नगर पुलिस ने मामला जरूर दर्ज कर लिया था।
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अफसरों व भू-माफिया का गठजोड़ रहा हावी
- अफसरों व भू-माफिया के गठजोड़ के चलते गैर कानूनी ढंग से साल 2009 में 55 कनाल 14 मरले जमीन का हुडा द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया। इस जमीन का मुआवजा व एन्हांसमेंट की रकम कांवला ग्राम पंचायत के खातों में भेज दी गई। जबकि पंचायत इस जमीन को साल 2003 में ही निगम को बेच चुकी थी। मकसद सिर्फ यह था कि डेयरी संचालक परेशान होकर अपना कब्जा छोड़ कर चले जाएं।