Gujarat: 89 एशियाई शेर अब रेडियो कॉलर से हुए मुक्त
Asian Lion वन विभाग ने सासण गीर जंगल के 89 शेरों के गले से डेढ़ से दो किलो वजनी रेडियो कॉलर को हटा लिया है। करीब एक साल से ये शेर रेडियो कॉलर पहने हुए थे।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Asian Lion: गुजरात में सासण गीर जंगल के 89 एशियाई शेर अब करीब दो किलो वजनी रेडियो कॉलर से मुक्त हो गए हैं। राज्यसभा में सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने गत दिनों यह मुद्दा उठाते हुए इससे शेरों की जान का दुश्मन बताया था। वन विभाग ने बीते तीन दिनों में सासण गीर जंगल के 89 शेरों के गले से डेढ़ से दो किलो वजनी रेडियो कॉलर को हटा लिया है। करीब एक साल से ये शेर रेडियो कॉलर पहने हुए थे। वन विभाग प्रशासन का कहना है पहले व रेडियो कॉलर पहनाने के बाद के शेरों के मृत्यु दर में करीब-करीब एक समानता नजर आई है। अगले सीजन में कुछ अन्य शेरेां को रेडियो कॉलर पहनाया जाएगा। गौरतलब है कि सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने राज्यसभा में गुजरात के एशियाई शेरों की अकाल मौत का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अवैज्ञानिक तरीके से शेरों को दो से ढाई किलो वजन का रेडियो कॉलर लगाने से उनकी मृत्यु दर बढ़ गई है। शेरों के विशेषज्ञों ने छह फीसदी से अधिक शेरों को रेडियो कॉलर लगाने को अवैज्ञानिक बताया।
गौरतलब है कि एशियाई शेरों की एक मात्र शरणस्थली सासण गीर जंगल में साल 1990 में 284 शेर हुआ करते थे जो अब बढ़कर 674 हो गए हैं, वहीं संरक्षित वन का क्षेत्रफल भी 6600 वर्ग किमी से 30 हजार वर्ग किमी हो गया है। वर्ष 2015 में राज्य में एशियाई शेरों की संख्या 523 थी। वन विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक सौराष्ट्र के दस जिले गीर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, राजकोट, जूनागढ़, पोरबंदर, जामनगर, बोटाद, मोरबी व सुरेंद्रनगर तक फैले गीर जंगल में 161 नर शेर, 260 मादा शेर, 45 अवयस्क नर, 49 अवयस्क मादा तथा 137 बच्चे हैं तथा 22 की पहचान नहीं हो सकी।
गुजरात सरकार के वन विभाग की ओर से हर पांच साल में शेरों की गणना की जाती है। इस साल पांच-छह जून को शेरों की गणना होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते यह नहीं हो पाया लेकिन वन विभाग ने ब्लॉक काउन्ट मेथड व लेंडस्केप एनालिसिस के जरिए शेरों की यह संख्या निकाली जिसमें वन विभाग के करीब 1400 कर्मचारी शामिल हुए। जीपीएस, रेडियो कॉलर आदि की भी इसमें मदद ली गई। सरकार ने बताया कि लोकभागीदारी, आधुनिक तकनीक तथा कैनिन डिस्टेंम्पर वायरस (सीडीवी) वैक्सीन के आयात करने से भी शेरों की मौत कम हुई, जिससे उनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई थी।