सांसदों के वेतन-भत्तों पर फैसले को अलग बने संस्था: वरुण गांधी
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा है कि धनी सांसद अपना वेतन और भत्ता छोड़े, यह सुझाव भी दिया है।
वडोदरा, एजेंसी। भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा है कि सांसदों के वेतन और भत्तों पर फैसला करने का जिम्मा ऐसी संस्था को दिया जाना चाहिए, जिसका संसद से वास्ता न हो। यह सुझाव वह इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि पिछले छह साल में सांसदों के वेतन और भत्ते 400 प्रतिशत बढ़े हैं। सांसद के रूप में वास्तव में हम भारी बढ़ोतरी का लाभ उठा रहे हैं। खुद अपनी तनख्वाह बढ़ाने का फैसला करना नैतिक रूप से भी उचित नहीं है।
'नए भारत के लिए विचार' कार्यक्रम में छात्रों के बीच वरुण गांधी ने कहा कि सांसदों के लाभों को संसद के कामकाज के दिनों से जो़ड़ा जाना चाहिए। इससे संसद में सांसदों की उपस्थिति बढ़ेगी और संसद में हंगामा कम और कामकाज ज्यादा होगा। इस तरह की मांग कई बार उठी है, लेकिन उसे स्वीकार करने पर गंभीरता से विचार कभी नहीं हुआ। छह साल में सांसदों का वेतन और भत्ते तो चार गुना बढ़ गए, लेकिन संसद साल भर में चली सिर्फ 50 दिन। जबकि 1952 से 1972 के बीच संसद प्रति वर्ष 130 दिन तक चलती थी।
वरुण गांधी ने बताया कि उन्होंने इस सिलसिले में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को एक पत्र लिखा है। धनी सांसद अपना वेतन और भत्ता छोड़े, यह सुझाव भी दिया है। लोकसभा में 180 सांसद और राज्यसभा में 75 सांसद ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी संपत्ति 25 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा बताई है। ये अगर अपने वेतन-भत्ते छो़ड़ेंगे तो उनकी हैसियत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन सरकारी खजाने के सैकड़ों करो़ड़ रुपये की बचत हो जाएगी। कार्यक्रम का आयोजन नवरचना विश्वविद्यालय ने किया था।