तीन दशक बाद गुजरात में बाघ की चहलकदमी, सरकार ने की पुष्टि
Tiger in Gujarat. वनमंत्री गणपत सिंह वसावा ने बताया कि गुजरात में टाइगर होने की खबरों के बीच वनविभाग ने जंगल में टाइगर की मौजूदगी की जांच की।
राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। एशियाई शेरों के स्थायी आवास गुजरात में करीब तीन दशक बाद किसी बाघ को सड़क पार करते हुए देखा गया। सरकार का मानना है कि बाघ राजस्थान, मध्य प्रदेश अथवा महाराष्ट्र से गुजरात में आया है। उसकी उम्र सात से आठ साल बताई जा रही है। गुजरात में पांच दशक पहले बाघ पाए जाते थे, लेकिन अवैध शिकार के चलते विलुप्त हो गए। राज्य में आखिरी बार 1989 में बाघ को देखा गया था।
वनमंत्री गणपतसिंह वसावा ने बताया कि राज्य में बाघ होने की खबरों के बीच वन विभाग ने 200 लोगों की पांच टीमें बनाईं। सोमवार रात महिसागर व डांग के जंगलों में लगे सीसीटीवी कैमरों में बाघ गढ़ रोड के पास घूमता हुआ पाया गया। वसावा ने बताया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से बाघ के बारे में जानकारी मांगी गई है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह किस राज्य से आया है। अब यह पता लगाया जाएगा कि गुजरात बाघों के लिए अनुकूल है कि नहीं। उन्होंने बताया कि आखिरी बार वर्ष 1989 में गुजरात में बाघ को देखा गया था।
राजस्थान, गुजरात व मध्य प्रदेश बाघों के लिए नेशनल कॉरिडोर है इसलिए उनसे बाघ के बारे में जानकारी ली जाएगी। वन संरक्षक आर पटेल ने बताया कि छह फरवरी को एक शिक्षक ने महिसागर के बोरिया गांव के पास बाघ को सड़क पार करते हुए देखा। उनकी सूचना पर जंगल में कई जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए तथा कुछ वनकर्मी जंगल में मचान बनाकर बैठे। कुछ वनकर्मियों ने टाइगर को प्रत्यक्ष रूप से देखा, जबकि 11 फरवरी को वह कैमरों में कैद हो गया।