श्मशान में जीवित हो उठा नवजात
जिंदगी-मौत के बीच झूल रहे नवजात ने आखिरकार जिंदगी की जंग जीत ली। बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ है। वडोदरा के सयाजी अस्पताल में भाग्यश्री ने 28 मार्च को बेटे को जन्म दिया था। जन्म से ही उसका ब्रेन डेड था। बच्चे को दर्जनों बार वेंटीलेटर पर रखा गया।
वडोदरा। पिछले 1 महीने से जिंदगी-मौत के बीच झूल रहे नवजात ने आखिरकार जिंदगी की जंग जीत ली। बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ है।
- डॉक्टर्स ने बच्चे के पिता नागोराव गोरदडे से कहा था, बच्चा ब्रेन डेड हो गया है। - वेंटीलेटर से हटाने के कुछेक घंटों बाद ही उसकी मौत हो सकती है। अंतिम क्रिया की तैयारी कर लें। - बीते 1 अप्रैल को डॉक्टर ने बच्चे को पिता के हाथों में सौंपा। पिता उसे लेकर श्मशान पहुंचे। बच्चे की दफन विधि की तैयारी हो रही थी कि अचानक ही उसने हाथ-पैर हिलाने शुरू कर दिए थे।
पिछले एक महीने से लड़ रहा था जिंदगी की जंग
- वडोदरा के सयाजी अस्पताल में भाग्यश्री ने 28 मार्च को बेटे को जन्म दिया था।
- जन्म से ही उसका ब्रेन डेड था। एक महीने में बच्चे को दर्जनों बार वेंटीलेटर पर रखा गया।
- बचने की उम्मीद डॉक्टर ने भी छोड़ दी थी, क्योंकि वेंटीलेटर से हटाते ही हालत बिगड़ जाती थी।
- धीरे-धीरे अचानक ही बच्चे की हालत में सुधार आने लगा। कुछ दिन पहले वह मां का दूध भी पीने लगा।
- मां का दूध पीने की वजह से डॉक्टर्स को उसके ठीक होने की उम्मीद की किरण नजर आने लगी थी।
- पिछले दो हफ्ते से बच्चे को वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत नहीं पड़ी और अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।
बेटे का नाम रखेंगे भागवत
इस बारे में बच्चे के पिता नागोराव गोरदले का कहना है कि डॉक्टर्स की मेहनत के साथ-साथ बेटे को भगवान का भी आशीर्वाद मिला। इसी वजह से वह मौत के मुंह से लौट आया। इसी के चलते मैंने व भाग्यश्री ने इसका नाम ‘भागवत’ रखा है।