घोर गरीबी से जूझ रहे गांधीजी के पौत्र
गुजरात का कोई नेता या मंत्री साबरमती के संत के वंशज का हालचाल पूछने तक नहीं गया। उनकी कोई संतान भी नहीं।
सूरत। नमक सत्याग्रह के दौरान डांडी मार्च में महात्मा गांधी की लाठी थाम कर उन्हें आगे ले जाने वाले बच्चे की तस्वीर आज भी सभी के जहन में मौजूद है। वह बच्चा गांधी जी का पौत्र कनु रामदास गांधी था। तस्वीर गांधी जी के आंदोलन का गौरवशाली प्रतिबिंब मानी जाती है। अब हालात बदल चुके।
कनु आज वृद्धावस्था में घोर गरीबी और बीमारियों से जूझ रहे हैं। नासा के पूर्व वैज्ञानिक और गांधी जी के 87 से अधिक आयु के वंशज की दुर्दशा का आलम यह है कि वह गंभीरावस्था में गुजरात के चैरिटेबल अस्पताल में दाखिल है और देखभाल करने वाला कोई नहीं। 22 अक्टूबर को कनु रामदास को दिल का दौरा पड़ा, मस्तिष्काघात भी हुआ। लकवे के कारण आधा शरीर निष्क्रिय,निर्जीव हो गया।
मंदिर प्रबंधकों ने दाखिल कराया
राधास्वामी मंदिर के प्रबंधकों ने उन्हें शिव ज्योति चैरिटेबल अस्पताल में दाखिल करवाया। उनकी 90 वर्षीय धर्मपत्नी शिवलक्ष्मी कनु गांधी सुनने में सक्षम नहीं और वृद्धावस्था की अनेक बीमारियों से ग्रस्त हैं। मंदिर प्रबंधकों द्वारा नियुक्त सेवक राकेश दोनों की देखरेख कर रहा है। गुजरात का कोई नेता या मंत्री "साबरमती के संत" के वंशज का हालचाल पूछने तक नहीं गया। उनकी कोई संतान भी नहीं।
21 हजार की मदद
गांधी जी के पुराने मित्र के प्रपौत्र धीमंत बाधिया ने कनु की मदद के लिए हाल ही में 21 हजार रुपए दिए। पहले भी वह मदद करते रहे हैं। स्वयं वृद्ध होने के कारण वह बार-बार सूरत आने में सक्षम नहीं।
चार दशक तक अमेरिका में
कनु दंपती चार दशकों तक अमेरिका में कार्यरत रहा। कनु रामदास 25 वर्ष नासा और बाद में अमेरिकी रक्षा विभाग में वैज्ञानिक के रूप में कार्य करते रहे। उनकी पत्नी शिवलक्ष्मी बोस्टन बायोमेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर और रिसर्चर थीं। इससे पहले उस भारत में अमेरिकी राजदूत जॉन केनेथ गाल्ब्रेथ कनु रामदास को मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट में अध्ययन के लिए ले गए थे।
आश्रमों, धर्मशालाओं में रहे
बाधिया के अनुसार 2014 में भारत लौटे तो इस दंपती के पास अपना कोई घर नहीं था। वे एक से दूसरे स्थान पर आश्रय ढूंढ़ते रहे। वह आश्रमों, धर्मशालाओं में भी रहे। छह माह तक नई दिल्ली के गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम में भी रहना पड़ा जोकि मानसिक रोगी सीनियर सिटीजंस के लिए बना है। आश्रम असुरक्षित जगह पर स्थित है। सीमित संसाधनों के बावजूद कनु दंपती को निजी सुरक्षा कर्मचारी नियुक्त करने पड़े थे।
नहीं पहुंची मोदी की मदद
उस समय एक केंद्रीय मंत्री के संज्ञान में मामला आया था और उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी बात करवाई। बाधिया के अनुसार प्रधानमंत्री ने पूर्ण सहानुभूति जताते हुए मदद का आश्र्वासन दिया था लेकिन मदद आज तक नहीं मिली।
बहनें आगे आईं
बाधिया के अनुसार कनु की दो वयोवृद्ध बहनें उनके स्वास्थ्य के बारे में लगातार पूछताछ कर रही हैं। एक बहन उषा गोकनी मुंबई तथा दूसरी सुमित्रा कुलकर्णी बेंगलुरु में रहती हैं। सुमित्रा ने हाल ही में अस्पताल का दौरा किया तथा चिकित्सा का खर्च उठाने की बात कही लेकिन मंदिर प्रबंधकों ने विनम्रता से ठुकरा दिया। उनका कहना है कि वे देश को गांधी जी द्वारा दी गई सेवाओं का कर्ज उतारना चाहते हैं।