Move to Jagran APP

Gujarat: गोधरा से भाजपा विधायक सीके राउलजी को धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार

Gujarat गोधरा से भाजपा विधायक सीके राउलजी व उनके पुत्र को फोन पर धमकी देने वाले युवक को गिरफ्तार कर लिया गया है। बावड़ी खुर्द गांव निवासी प्रवीण चारण पर गत दिनों सीके राउलजी व उनके पुत्र को फोन कर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगा था।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 08:23 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 08:23 PM (IST)
Gujarat: गोधरा से भाजपा विधायक सीके राउलजी को धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार
भाजपा विधायक सीके राउलजी को धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात में गोधरा से भाजपा विधायक सीके राउलजी व उनके पुत्र को फोन पर धमकी देने वाले युवक को गिरफ्तार कर लिया गया है। गोधरा के बावड़ी खुर्द गांव निवासी प्रवीण चारण पर गत दिनों भाजपा के विधायक सीके राउलजी व उनके पुत्र को फोन कर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगा था। फोन पर उसने गालियां दीं व अभद्र व्यवहार किया था। आरोपित ने विधायक को फोन कर कहा था कि जनता के मत से चुने गए हैं तो काम भी करना पड़ेगा। अपने गांव में विकास कार्य नहीं कराने से क्षुब्ध था, इसीलिए उसने विधायक को फोन पर धमकी दी। पुलिस उपाधीक्षक सीसी खटाना ने बताया कि आरोपितों को पकड़ने के लिए पुलिस ने अलग-अलग टीमें बनाकर गुजरात, राजस्थान व मध्य प्रदेश भेजी थी। बुधवार को इस युवक को गिरफ्तार किया गया। विधायक के पुत्र ने गोधरा तहसील थाने में आरोपित के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

loksabha election banner

गुजरात में शराबबंदी को लेकर उच्च न्यायालय में सुनवाई
इधर, गुजरात में शराबबंदी को लेकर उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कहा कि शराब नहीं मिलने पर पर्यटक प्रदेश में आने से कतराते हैं। गुजरात में शराबबंदी को लेकर उच्च न्यायालय में पांच याचिकाएं दाखिल की गई हैं। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने बताया कि महात्मा गांधी की कर्मभूमि गुजरात में शराब नहीं परोसी जा सकती, लेकिन पर्यटक तथा विजिटर्स को शराब परमिट के बारे में उनका जवाब था कि शराब नहीं मिले तो पर्यटक प्रदेश में आने से कतराते हैं। त्रिवेदी का यह भी कहना है कि शराबबंदी कानून को लेकर अन्य राज्यों से तुलना करना तर्कसंगत नहीं है। सरकार का यह भी कहना था कि राज्य में आजादी के बाद से शराबबंदी का कानून लागू है तथा इस कानून को लेकर पहले भी कई बार याचिकाएं दाखिल की गई। उच्चतम न्यायालय ने 1951 में ही शराबबंदी को जायज ठहरा दिया था। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि शराबबंदी के बाद सरकार मांसाहार पर भी रोक लगा सकती है। लोग अपने घर में बैठकर क्या खाते पीते हैं सरकार उन पर निगरानी नहीं कर सकती। शराब पीकर कोई वाहन चलाता है, सड़क या सार्वजनिक जगह पर हंगामा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए लेकिन राज्य के नागरिकों के शराब पीने पर ही प्रतिबंध लगा देना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.