Hanging In Gujarat: गुजरात में 30 साल बाद होगी फांसी, लटकाया जाएगा मासूम का गुनहगार
Hanging In Gujarat. साबरमती जेल में आखिरी बार वर्ष 1962 में जबकि राजकोट जेल में सितंबर 1989 में शशिकांत माली को आखिरी बार फांसी दी गई थी।
अहमदाबाद, राज्य ब्यूरो। Hanging In Gujarat. निर्भयाकांड के गुनहगारों की फांसी भले ही कानूनी दावपेच में उलझी हो, लेकिन सूरत की तीन वर्षीय मासूम के गुनहगार अनिल यादव को फांसी देने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। राज्य में 30 साल बाद किसी गुनहगार को फांसी दी जाएगी। जल्लाद के लिए दिल्ली के तिहाड़ व महाराष्ट्र के यरवदा जेल प्रशासन से संपर्क किया गया है। गुजरात के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) शिवानंद झा ने अहमदाबाद की साबरमती सेंट्रल जेल पहुंचकर महात्मा गांधी व सरदार पटेल के नाम पर बनी कोठरी के बगल में स्थित फांसीघर का जायजा लिया। करीब पांच दशक से ज्यादा समय से अनुपयोगी इस फांसीघर के रंगरोगन व मरम्मत के लिए हाउसिंग बोर्ड की मदद ली जा रही है।
साबरमती जेल में 58 साल पहले हुई थी आखिरी बार फांसी
साबरमती जेल में आखिरी बार वर्ष 1962 में, जबकि राजकोट जेल में सितंबर 1989 में शशिकांत माली को आखिरी बार फांसी दी गई थी। राज्य में फांसी का यह आठवां मामला होगा। पहली बार दाराजी रादपिया को मई 1953 व इसके अगले ही महीने जून में वडोदरा जेल में माला कोदर को फांसी दी गई थी।
पॉक्सो कानून के तहत फांसी का पहला मामला
सबकुछ ठीक रहा तो अनिल को 29 फरवरी की सुबह साढ़े चार बजे फांसी पर लटका दिया जाएगा। प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस (पॉक्सो) एक्ट के तहत फांसी का राज्य में यह पहला मामला होगा। इससे पहले अन्य राज्यों की अदालतें पॉक्सो एक्ट के तहत फांसी की सजा सुना चुकी हैं।
बिहार के बक्सर जिला का है गुनहगार अनिल यादव
सूरत के लिंबायत क्षेत्र निवासी तीन वर्षीय मासूम 14 अक्टूबर 2018 को लापता हो गई थी। परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने भी बच्ची की छानबीन शुरू की। दूसरे दिन उसका शव उसकी बिल्डिंग के निचले तल पर बने एक कमरे में प्लास्टिक के थैले में मिला था। उसमें अनिल यादव (26) रहता था। बिहार के बक्सर जिले के मनिया गांव निवासी अनिल सूरत में काम के सिलसिले में आया था। वारदात के पांचवें दिन अनिल को गुजरात पुलिस ने उसके गांव से गिरफ्तार किया था।
उससे पूछताछ के बाद पुलिस ने बताया था कि अनिल ने बच्ची को चॉकलेट का लालच देकर अपने कमरे में ले जाकर दुष्कर्म किया था और इसके बाद उसकी गला घोटकर हत्या कर दी थी। विशेष (पॉक्सो) अदालत के जज पीएस काला ने 31 जुलाई 2019 को अनिल को फांसी की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी व जस्टिस एससी राव की पीठ ने विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए 27 दिसंबर 2019 को अनिल की याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद विशेष कोर्ट ने गत गुरुवार को अनिल का डेथ वारंट जारी किया है।