Move to Jagran APP

175 किलो की शकुंतलाबेन ने इच्छामृत्यु के लिए PM से लगाई गुहार

मकान में अपने दिव्यांग पति मयूरभाई और 13 साल के बेटे पार्थ के साथ गुजारा कर रही है शकुंतलाबेन। इनका वजन करीब 175 किलो है। पिछले 13 साल से अपने इस महाकाय शरीर की परेशानी से जूझ रही शकुंतलाबेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इच्छामृत्यु की मांग की है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 06 Apr 2016 05:13 AM (IST)Updated: Wed, 06 Apr 2016 05:22 AM (IST)
175 किलो की शकुंतलाबेन ने इच्छामृत्यु के लिए PM से लगाई गुहार

वडोदरा। शहर के मांडवी इलाके में एक रूम और किचन के मकान में अपने दिव्यांग पति मयूरभाई और 13 साल के बेटे पार्थ के साथ गुजारा कर रही है शकुंतलाबेन। इनका वजन करीब 175 किलो है। पिछले 13 साल से अपने इस महाकाय शरीर की परेशानी से जूझ रही शकुंतलाबेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इच्छामृत्यु की मांग की है।

loksabha election banner

- शकुंतलाबेन के पति मयूरभाई महिने के सिर्फ 9500 रुपए कमाते हैं। इसलिए इलाज करवाना मुश्किल है।
- अभी शकुंतलाबेन थाइरॉईड, दमे की बीमारी, और हाईब्लड प्रेशर से पीडित हैं।
- उनका इलाज भी संभव है, लेकिन ज्यादा वजनी होने की वजह से ज्वाइंट का इलाज मुश्किल है।

मेरी मदद करो या मुझे इच्छामृत्यु दो: शकुंतलाबेन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इलाज के लिए मेरी मदद करो या तो मुझे इच्छामृत्यु की मंजूरी दो। मैं हर रोज मर रही हूं। रोज-रोज मरने से तो अच्छा है मैं एक ही बार में मर जाऊं। पहले भी मैं दो बार सुसाइड की कोशिश कर चुकी हूं। मैं भी जीना चाहती हूं, लेकिन अपने इस महाकाय शरीर से उब चुकीं हूं। आप जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, तब भी मैंने इच्छामृत्यु के लिए आपको पत्र लिखा था, लेकिन आज तक उसका कोई जवाब नहीं मिला। अब मैं इस बारे में हमारे राष्ट्रपति को पत्र लिखने वाली हूं। सरकार से मेरी एक ही गुहार है या तो मेरा इलाज करवाने में मेरी मदद करे या फिर मुझे इच्छामृत्यु के लिए मंजूरी प्रदान करें। अगर सरकार मुझे अगले 15 दिनों में इसका जवाब नहीं देगी तो मैं अपने घर में ही अनशन पर बैठ जाउंगी और अपने जीवन को समाप्त कर लूंगी।

बचपन में डॉ. ने नस में लगा दिया था इंजेक्शन:
उन्होंने कहा कि जब मैं 5 साल की थी, तब मुझे बुखार आ गया था। मेरे पिताजी मुझे एक स्थानीय डॉक्टर के पास ले गए थे। दारु के नशे में चूर उस डॉक्टर ने मेरी नस में इंजेक्शन लगा दिया, जिससे मेरे शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। एक माह बाद जब मैंने सूरत के सरकारी अस्पताल के इलाज करवाया तो में फिर से स्वस्थ हो गई थी। उसके बाद मैंने बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.