Move to Jagran APP

Bhikhu Bhai Dalsania: जानें, कौन हैं भीखू भाई दलसानिया; क्यों दी गई बिहार में संगठन की जिम्मेदारी

Bhikhu Bhai Dalsania भारतीय जनता पार्टी को बिहार में हाल में अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है इसलिए अब बिहार की राजनीति पर पकड़ मजबूत करने में भीखू भाई दलसानिया तुरुप का इक्‍का भी साबित हो सकते हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 18 Aug 2021 07:58 PM (IST)Updated: Wed, 18 Aug 2021 09:27 PM (IST)
Bhikhu Bhai Dalsania: जानें, कौन हैं भीखू भाई दलसानिया; क्यों दी गई बिहार में संगठन की जिम्मेदारी
जानें, कौन हैं भीखू भाई दलसानिया; क्यों दी गई बिहार में संगठन की जिम्मेदारी। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। कुशल संगठनकर्ता व संघ के समर्पित नेता भीखू भाई दलसानिया को अब बिहार के मोर्चे पर तैनात किया गया है। गुजरात में संगठन महामंत्री के पद पर करीब डेढ़ दशक तक काम करने का उनके पास लंबा अनुभव है। गुजरात के संगठन महामंत्री के पद पर रत्‍नाकर की नियुक्ति के बाद से दलसानिया को बड़ी जिम्‍मेदारी सौंपे जाने की अटकलें लग रही थी। गुजरात भाजपा के संगठन महामंत्री के पद पर भीखू भाई दलसानिया ने 2005 से 2021 तक काम किया। इस दौरान गुजरात के तीन विधानसभा चुनाव, तीन लोकसभा चुनाव में भाजपा को सफलता दिलाने में उनका खासा योगदान माना जाता है। सौराष्‍ट्र के पाटीदार समाज के सामान्‍य परिवार में जन्‍में भीखू भाई का संगठन महामंत्री के रूप में कार्यकाल पूरी तरह निर्विवादित, समर्पित व काम से काम रखने वाले नेता के रूप में रहा।

loksabha election banner

अगस्‍त, 2016 में तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री उत्‍तर प्रदेश की राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल के स्‍थान पर मुख्‍यमंत्री के रूप में भीखू भाई का नाम खूब चर्चा में रहा था। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के सनिष्‍ठ कार्यकर्ता दलसानिया सौराष्‍ट्र के प्रांत प्रचारक रहे। इसके बाद उन्‍हें संगठन महामंत्री का जिम्‍मा सौंपा गया था। उनसे पहले गुजरात की राजनीति के दिग्‍गज रहे नाथा लाल जगडा, संजय जोशी, नरेंद्र मोदी व संजय गांधी जैसे नेता इस पद पर रहे थे। दलसानिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी विश्‍वस्‍त माने जाते हैं तथा बिहार की राजनीति में उनको भेजे जाने के पीछे खास वजह मानी जा रही है। बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आने तथा मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की जाति आधारित जनगणना की जिद के बाद बिहार की राजनीति में काफी उतार-चढ़ाव आने की संभावना है। भाजपा को बिहार में हाल अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है, इसलिए अब बिहार की राजनीति पर पकड़ मजबूत करने में दलसानिया तुरुप का इक्‍का साबित हो सकते हैं। मिलन सार होने के साथ दलसानिया स्‍वच्‍छ छवि के नेता माने जाते हैं, जो बोलने के बजाए काम करके दिखाने में अधिक विश्‍वास रखते हैं। बीते डेढ़ दशक में गुजरात में उनका ऐसा ही ट्रैक रिकार्ड रहा है। उनको कभी भी सरकार के कामकाज में दखल देते नहीं देखा गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.