गांधीजी की लाठी पकड़कर ले जाने वाले कनुभाई की हालत नाजुक
महात्मा गांधी के पौत्र कनुभाई गांधी की हालत काफी नाजुक है। कनुभाई को ह्रदयाघात व शरीर के आधे भाग में पक्षाघात के बाद सूरत के निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां वे जीवनरक्षक दवाओं पर निर्भर हैं।
सूरत। देश में शायद ही ऐसा कोई होगा, जिसने वह तस्वीर नहीं देखी होगी, जिसमें गांधीजी की लकड़ी पकड़कर उनके आगे-आगे एक मासूम चल रहा है। यह तस्वीर मुम्बई के जुहू की है। लकड़ी पकड़ने वाला मासूम बालक उनके पौत्र कनुभाई हैं। वे पिछले 13 दिनों से वे एक निजी अस्पताल में वेंटीलेटर पर हैं। दो दिन पहले ही कलेक्टर ने उनसे भेंट की थी।
सूरत में कनुभाई पिछले 13 दिनों से घोडदोड रोड पर स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। उन्हें हृदयाघात और मस्तिष्क में लकवे का हमला हुआ है। शुरुआत में उनका स्वास्थ्य स्थिर था। अधिक बिगड़ जाने से पंजाबी समाज के अध्यक्ष कैलाश भाई छाबड़ा ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। उनका हालत गंभीर है। फिर भी उन्हें हर तरह की सहायता दी जा रही है।
कनुभाई बेंगलोर में रहने वाली अपनी बहन से मिलने आए थे
कनुभाई इस समय यहां पार्ले पाइंट स्थित राधाकृष्ण मंदिर के प्रांगण में स्थित संत निवास में रहते हैं। अटैक आने पर उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं है। कई प्रख्यात डॉक्टर उनका मुआयना कर चुके हैं। अभी तक वे अमेरिका में ही थे, यहां वे बेंगलोर में रहने वाली अपनी बहन सुमित्रा से मिलने आए थे।
तीन साल पहले ही अमेरिका से भारत आए
महात्मा गांधी के पोते कनुभाई बरसों से अमेरिका में पत्नी शिवालक्ष्मी के साथ रहते थे। तीन साल पहले ही वे भारत आए। शुरुआत में दिल्ली, वर्धा और नागपुर में रहे। इसके बाद मरोली के गांधी आश्रम में रहे। वहां से वे सूरत के वेसु स्थित एक वृद्धाश्रम में रहने लगे। इसके बाद पीपी सवाणी स्कूल, अहमदाबाद साबरमती आश्रम, खेड़ा, वेडछी और उसके बाद दिल्ली में रहे। पिछले तीन महीनों से वे फिर सूरत आ गए हैं। अभी वे पार्ले पाइंट स्थित राधाकृष्ण मंदिर के संत निवास में रहते हैं। 17 जुलाई से वे स्थायी रूप से सूरत में रह रहे हैं। उनके निवास और इलाज का पूरा खर्च पंजाबी समाज उठा रहा है।
महात्मा गांधी के पौत्र कनुभाई गांधी की हालत काफी नाजुक है। कनुभाई को ह्रदयाघात व शरीर के आधे भाग में पक्षाघात के बाद सूरत के निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां वे जीवनरक्षक दवाओं पर निर्भर हैं।
कनुभाई गांधी अमरीका के नासा में वैज्ञानिक थे, तीन साल पहले ही भारत लौटे थे। सूरत, अहमदाबाद, दिल्ली, वर्धा आदि शहरों के गांधी आश्रम, स्वयं सेवी संस्थाओं में समय बिताने के बाद कुछ माह से सूरत के हरे क्रष्णा मंदिर ट्रस्ट के अतिथि ग्रह में रह रहे थे। कुछ दिन पहले उनहें ह्रदयाघात व शरीर के आधे भाग में पक्षाघात के बाद सूरत के घोड दौड रोड पर अस्पेताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत काफी नाजुक बताई जा रही है, शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया जिसके बाद उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखाा गया है।