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आईटी ने 100 रुपए खर्च कर पकड़ा 1000 करोड़ का बेनामी लेन-देन

सूरत में इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट ने 100 रुपए खर्च कर 1000 करोड़ रुपए की बेनामी हिसाब-किताब पकड़ने में सफलता पाई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2016 06:34 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2016 06:40 AM (IST)
आईटी ने 100 रुपए खर्च कर पकड़ा 1000 करोड़ का बेनामी लेन-देन

सूरत सूरत में इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट ने 100 रुपए खर्च कर 1000 करोड़ रुपए की बेनामी हिसाब-किताब पकड़ने में सफलता पाई है। हीरा कंपनी 'श्रीहरि जेम्स' का 1000 करोड़ रुपए का बेनामी लेनदेन पकड़ लिया है। हालांकि यह फर्म खुद का टर्नओवर महज 175 करोड़ दिखा रही थी। एक नंबर और दो नंबर का समानांतर कारोबार कर ये गोलमाल किया जा रहा था, जिसे आईटी अधिकारियों ने पकड़ लिया है।

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जानकारों के मुताबिक 1000 करोड़ रुपए की बेनामी हिसाब-किताब पर 33 फीसदी के हिसाब से 330 करोड़ रुपए अब डायमंड फर्म को बतौर टैक्स भरने होंगे। दरअसल, हीरा कारोबारी की डायमंड यूनिट चहुंओर से सीसीटीवी की जद में है। नजरें बचाकर इसमें दाखिल होना संभव नहीं था। ऐसे में आईटी अधिकारियों ने एक तरकीब अपनाई और 100 रुपए में चार नारियल खरीदे। इन्हें बड़े गिफ्ट पैकेट में पैक करवाया ताकि लगे कि बड़ा गिफ्ट पार्सल है। दफ्तर पर पहुंच गए और कहा कि 'डायमंड यूनिट मालिक को गिफ्ट देना है।' इस तरह 100 रुपए खर्च कर 1000 करोड़ रुपए के बेनामी लेनदेन पकड़ा। हालांकि नवंबर 2015 में की इस कवायद का परिणाम अब निकट गया है।

सर्वे के शुरू में एक करोड़ की नकदी मिली थी। हीरा कारोबारी ने 85 करोड़ रुपए का बेनामी धन कबूल किया था। इस कारोबारी की सूरत के अलावा भावनगर मुंबई में भी फर्म हैं, जहां पड़ताल करने पर 50 थैले भरकर दस्तावेज पकड़े गए। ये दस्तावेज बीते छह साल के थे। इनकी बारीक पड़ताल कर अधिकारियों ने 1000 करोड़ रुपए के बेनामी लेनदेन पकड़े।

दो नंबर के धंधे का हिसाब किताब पक्का रखा जाता था। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार करवाया जो पलक झपकते ही पूरा ब्योरा बता देता है। संग्रहित भी रखता है। कर्मचारियों को भी इसी तरह ट्रेन किया गया कि वह तीनों श्रेणी का हिसाब किताब रखने में कोई चूक करें। आईटी ने हर बिल पर दर्ज नाम, तारीख और माल की मात्रा को मिलान करके 1000 करोड़ रुपए का सुराग मिला। कारोबारियों को बयान के लिए तलब किया। वह पूरा विश्लेषण देख कर हक्के-बक्के रह गए। हीरा कारोबार के काम करने का तरीका इस सर्च ऑपरेशन से उजागर हो गई है। संचालक एंटवर्प से जो रफ डायमंड मंगवाते थे, उसे पॉलिश करके स्थानीय बाजार में ही बेच देते थे। रुपया कहां से आया, कहां गया इसका विवरण रजिस्टर में नहीं दिखाते थे। हर हिसाब किताब तीन श्रेणी में रखते थे। एक जगह दो हिसाब रखते थे। आयकर विभाग में इस मामले को मॉडल केस बनाया है। देश के सर्वश्रेष्ठ सर्च ऑपरेशन में शुमार करने के लिए दिल्ली स्थित सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस को भेजा है।

यह पहली बार हुआ कि जब किसी सर्च ऑपरेशन में बेनामी धन कहां से आया और कहां-कहां गया, इसकी सभी कड़ियां जोड़ ली गई हैं। कारोबारी नंबर एक और नंबर दो का कामकाज समानांतर चला रहे थे। इसके लिए कोडवर्ड संकेतों का इस्तेमाल होता था। तीन भागीदार हैं, तीनों अलग-अलग कोडवर्ड का इस्तेमाल करते थे। सोफा आदि में भी दस्तावेज छिपाए गए थे। यह हीरा कारोबारी फर्म सूरत के कतारगाम में स्थित है। आईटी विभाग ने नवंबर 2015 में सर्वेक्षण किया था। इस कवायद में 1000 करोड़ रुपए के बेनामी हिसाब-किताब का ब्यौरा मिला है। इस बारे में विभाग ने एप्राइजर रिपोर्ट (एक तरह की आईटी की चार्जशीट) सेंट्रल सर्कल विंग को भेज दी है। सेंट्रल विंग 1000 करोड़ के हिसाब-किताब का असेसमेंट करके, संपत्ति जब्त करने सहित कार्रवाई करेगी।


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