सात सेकेंड में जमींदोज हुआ सूरत में 85 मीटर लंबा कूलिंग टावर, 220 किलो विस्फोटक का हुआ इस्तेमाल, देखें वीडियो
पावर स्टेशन के मुख्य कार्यकारी अभियंता आरआर पटेल ने जानकारी दी कि यह कूलिंग टावर हमारे पुराने टावर की सहायक इकाई थी। संयंत्र 1993 में शुरू हुआ था। उन्होंने आगे जानकारी दी कि विस्फोटक सामग्री को ड्रिल करके कूलिंग टॉवर के स्तंभ में फिट किया जाता है
सूरत, एजेंसी। गुजरात के सूरत में उतरन पावर स्टेशन पर मौजूद 30 साल पुराने कूलिंग टॉवर को मंगलवार को नियंत्रित विस्फोट के जरिए ध्वस्त कर दिया गया। इस टावर की लंबाई 85 मीटर थी। इस टावर को सुबह 11.10 ढहाई गई। यह टावर लगभग सात सेकेंड के अंदर ही जमींदोज हो गई। गौतरतलब है कि टावर धवस्त करने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
WATCH | Gujarat: An old cooling tower of Utran Power House in Surat demolished with a controlled blast. pic.twitter.com/SeFug7Skk5
— ANI (@ANI) March 21, 2023
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि विध्वंस के लिए लगभग 220 किलोग्राम वाणिज्यिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था।
संयंत्र 1993 में शुरू हुआ था
पावर स्टेशन के मुख्य कार्यकारी अभियंता, आरआर पटेल ने जानकारी दी कि यह कूलिंग टावर हमारे पुराने टावर की सहायक इकाई थी। संयंत्र 1993 में शुरू हुआ था। उन्होंने आगे जानकारी दी कि विस्फोटक सामग्री को ड्रिल करके कूलिंग टॉवर के स्तंभ में फिट किया जाता है, इसके बाद इसे धातु की जाली से ढक दिया जाता है ताकि विस्फोट के बाद धातु बाहर न निकले। दूसरी परत के रूप में एक सिंथेटिक कपड़ा डाला जाता है। हम महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी कपड़े रखते हैं।'
पटेल ने आगे जानकारी दी कि टॉवर गुजरात राज्य विद्युत निगम के 135-मेगावाट बिजली संयंत्र का हिस्सा था और शीतलन उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया था। पटेल ने आगे कहा,'1993 में निर्मित टावर को गिराना तकनीकी-व्यावसायिक कारणों से आवश्यक हो गया और 2017 में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की स्वीकृति ली गई।'
लोगों को टावर से रखा गया दूर
जानकारी के मुताबिक, एहतियात के तौर पर विस्फोट स्थल के आसपास का क्षेत्र में मौजूद लोगों को टॉवर से लगभग 250-300 मीटर दूर रखने के लिए बैरिकेडिंग की गई थी। बता दें कि यह क्षेत्र तापी नदी के तट पर स्थित है।