गुजरात दंगे के दो चेहरों को एक साथ लाई 'एकता चप्पल शॉप'
Gujarat riots. अहमदाबाद अतीत में सांप्रदायिक दंगों के लिए जाना जाता था लेकिन अब इसे हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जाना जाना चाहिए। हममें से कोई हिंसा नहीं चाहता।
अहमदाबाद, प्रेट्र। अशोक परमार और कुतुबुद्दीन अंसारी चाहे-अनचाहे गुजरात के 2002 के दंगे के बरबस याद आने वाले दो चेहरे हैं। दोनों शुक्रवार को यहां जूते-चप्पल की दुकान का उद्घाटन करने के लिए साथ आए और एकता का संदेश दिया। दरअसल, लोहे की छड़ लहराते हुए अशोक परमार की तस्वीर उस हिंसक भीड़ का प्रतीक बन गई थी, जो गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस फूंके जाने के बाद हिंसा पर उतर आई थी। अंसारी की तस्वीर दंगे के शिकार लोगों के दुख और डर को दर्शाती है।
शुक्रवार को जब अंसारी और परमार यहां दिल्ली दरवाजा इलाके में परमार की दुकान का उद्घाटन करने एक साथ पहुंचे, तब सभी की नजरें इन्हीं दोनों पर टिकी थीं। परमार ने इस दुकान का नाम 'एकता चप्पल शॉप' रखा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 2012 में दोनों की बैठक कराई थी, तब से दोनों मित्र हैं। परमार ने कहा, 'हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि हम बतौर इंसान एक हैं और एक-दूसरे के धर्म का आदर करते हैं। अहमदाबाद अतीत में सांप्रदायिक दंगों के लिए जाना जाता था लेकिन अब इसे हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जाना जाना चाहिए। हममें से कोई हिंसा नहीं चाहता।'
जूते की दुकान खोलने के लिए परमार को माकपा की केरल इकाई से मदद मिली है। परमार ने उन स्थितियों को याद करते हुए कहा, 'गोधरा में जो कुछ हुआ और अहमदाबाद में दंगे के दौरान जो हो रहा था, उससे मैं नाराज था। मैं दिहाड़ी मजदूर था। हिंसा के कारण मैं कुछ कमा नहीं पा रहा था।'' उसने कहा, 'लेकिन फोटोग्राफ में मेरी भावना को सही तरीके से नहीं दर्शाया गया और गलत तरीके से मेरा संबंध हिंसा से जोड़ दिया गया। मैं भाजपा और बजरंग दल से जुड़ा था जो गलत है।'