गुजरातः मां और बहन की हत्या के मामले में फांसी की सजा रद, फिर होगी सुनवाई
Double murder case. मां व बहन की हत्या के मामले में फांसी की सजा पाने वाली मानसिक रूप से विक्षिप्त युवती की सजा गुजरात हाईकोर्ट ने रद की।
अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। मां व बहन की हत्या के मामले में फांसी की सजा पाने वाली मानसिक रूप से विक्षिप्त युवती की सजा रद करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट को इस केस की ट्रायल फिर से चलाने का आदेश किया है। हाईकोर्ट ने मानसिक रूप से विक्षिप्त आरोपित युवती के खिलाफ केस चलाने को लेकर सेशन कोर्ट व पुलिस को फटकार लगाते हुए युवती को मेडिकल सुविधा व अनुभवी वकील उपलब्ध कराने का भी आदेश किया है।
गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जेबी पारडीवाला व न्याययाधीश एसी राव की खंडपीठ ने गांधीधाम सेशन कोर्ट की ओर से कच्छ की मंजू कुंवरिया को फांसी की सजा सुनाने के मामले की सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट व पुलिस से कई सवाल किए। दंड प्रक्रिया संहिता सीआरपीसी की धारा 29 का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपित के मानसिक रूप से विक्षिप्त होने की दशा में चिकित्सकों की सलाह जरूरी है, वहीं सीआरपीसी की धारा 30 के अनुसार मानसिक रूप से विक्षिप्त के खिलाफ ट्रायल नहीं चलाया जा सकता, उसे मेडिकल काउंसलिंग की सुविधा दी जानी चाहिए। आरोपित मंजू कुंवरिया ने 16 फरवरी, 2017 को छोटी सी बात को लेकर मां से झगड़ा होने के बाद रात में तलवार से मां और बहन को मौत के घाट उतार दिया था।
इस मामले में पुलिस की ओर से कानून का पालन नहीं करने तथा प्राथमिकी में आरोपित युवती के मानसिक रूप से अस्थिर होन की बात का उल्लेख होने के बावजूद केस का ट्रायल चलाने के लिए सेशन कोर्ट को हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा कतई नहीं माना जा सकता कि स्थानीय अदालत आरोपित के विक्षिप्त होने की बात से अनभिज्ञ थी। मार्च, 2018 में आरोपित युवती को हत्या की दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।इसी के खिलाफ युवती ने हार्हकोर्ट की गुहार लगाई। अदालत ने सरकारी वकील से पूछा कि आरोपित पर गंभीर किस्म का आरोप होने के बावजूद उसे अनुभवी वकील की सुविधा क्यों नहीं दी गई। सेशन कोर्ट व गुजरात पुलिस दोनों को ही हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि इस मामले में सजा स्थगित करने के साथ आरोपित युवती की मेडिकल जांच व अनुभवी वकील देकर फिर से इस मामले की ट्रायल शुरू की जाए।