सजा के बाद नारायण साई की नई पहचान अब बैरेक नंबर सी 6, कैदी नंबर 1750
Narayan Sai. आसाराम के बेटे नारायण साई को आजीवन कारावास की सजा के मद्देनजर बैरेक नंबर सी 6 में रखा गया है।
अहमदाबाद, जेएनएन। सूरत की दो बहनों से दुष्कर्म मामले में आरोप साबित होने के बाद अब नारायण साई को लाजपोर जेल के बैरेक नंबर सी-6 में रखा गया है। इसी के साथ ही उसका कैदी नंबर बदलकर 1750 हो गया है। अब नारायण साई को घर का टिफिन नहीं, अपितु जेल में बना हुआ भोजन ही परोसा जाएगा। आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद ही नारायण साई को नया बैरेक और नया नंबर मिल गया है।
सूरत के जहांगीरपुरा में 17-18 वर्ष पूर्व आसाराम आश्रम में सत्संग में आई सूरत की दो बहनों ने नारायण साई के खिलाफ 2013 में दुष्कर्म की शिकायत दर्ज करवाई थी। इस मामले में सूरत की सत्र न्यायालय ने मंगलवार के दिन नारायण साई को दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसी आरोप में साधिका गंगा-जमना तथा साधक कौशल ठाकुर उर्फ हनुमान को 10 वर्ष का कारावास तथा जुर्माना की सजा मिली।
मंगलवार देर शाम सख्त पुलिस सुरक्षा में उसे लाजपोर सेंट्रल जेल लाया गया। नारायण साई को आजीवन कारावास की सजा के मद्देनजर बैरेक नंबर सी-6 में रखा गया है। उब उसका कैदी नंबर बदलकर 1750 कर दिया गया है। अभी तक विचाराधीन कैदी होने के नाते नारायण साई को घर का टिफिन लाने की सुविधा थी। अब उसे जेल के नियमों के अनुसार जेल का बना हुआ भोजन लेना पड़ेगा।
सूरत की दो बहनों ने नारायण साई के खिलाफ दर्ज कराई थी शिकायत
सूरत की एक सत्र अदालत ने मंगलवार को आसाराम के बेटे नारायण साई को 2013 के दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई। 2013 से ही लाजपोर जेल में बंद 47 वर्षीय साई के अलावा दो महिलाओं सहित उसके चार सहयोगियों को भी अलग-अलग सजा सुनाई गई है। पिता आसाराम पहले ही एक दुष्कर्म मामले में जोधपुर की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पीएस गढ़वी ने साई को उम्रकैद की सजा सुनाने के साथ पीडि़ता को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने 26 अप्रैल को साई को आइपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120-बी (साजिश) के तहत दोषी ठहराया था।
इन्हें भी मिली सजा
धर्मिष्ठा उर्फ गंगा और भावना उर्फ जमुना : साई की सहयोगी। 10 साल की कैद। साजिश में हिस्सेदार बनने व गैरकानूनी रूप से पीड़िता को बंधक बनाने और साई के कहने पर उसकी पिटाई करने का दोषी।
पवन उर्फ हनुमान : साई का सहयोगी। 10 साल की कैद। साजिश में हिस्सेदार बनने का दोषी।
राजकुमार उर्फ रमेश मल्होत्रा : साई का ड्राइवर। छह माह की कैद। आइपीसी की धारा 212 (अपराधी को संरक्षण देना) के तहत दोषी।
यह था मामला
2013 में राजस्थान में एक लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोप में आसाराम की गिरफ्तारी के बाद सूरत निवासी दो बहनों ने आसाराम और उसके बेटे पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। बड़ी बहन ने आसाराम पर 1997 से 2006 के बीच यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। उस दौरान वह अहमदाबाद में आसाराम के आश्रम में रहती थी। छोटी बहन ने साई पर 2002 से 2005 के बीच यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। उस दौरान वह आसाराम के सूरत के जहांगीरपुरा क्षेत्र में स्थित आश्रम में रहती थी। सूरत पुलिस ने 2014 में साई के खिलाफ 1100 पृष्ठों का आरोप-पत्र दायर किया था। साई के जेल में रहने के दौरान सूरत पुलिस ने पुलिस अधिकारियों, डॉक्टरों और यहां तक कि न्यायिक अधिकारियों को रिश्वत देने की साजिश का पर्दाफाश करने का दावा किया था। उसने अपने खिलाफ मामला कमजोर करने की साजिश रची थी।
जोधपुर दुष्कर्म मामले में आसाराम को हो चुकी है सजा
आसाराम को जोधपुर की अदालत दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहरा चुकी है। वह जोधपुर की जेल में बंद है। सूरत की महिला की ओर से दर्ज कराए गए मामले की सुनवाई गांधीनगर कोर्ट में चल रही है।