Gujarat: गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर पत्नी की जान को खतरा बताया
Gujarat High Court युवक ने गुजरात उच्च न्यायालय में हैबियस कॉरपस याचिका दाखिल कर अपनी पत्नी को मां-बाप के कब्जे से छुड़ाने की मांग की है।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Gujarat High Court: कनाडा में रह रहे एक युवक ने गुजरात उच्च न्यायालय में हैबियस कॉरपस याचिका दाखिल कर अपनी पत्नी को मां-बाप के कब्जे से छुड़ाने की मांग की है। याचिकाकर्ता गिरिराज सिंह चौहान ने अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करके बताया कि वह मूलतः राजस्थान का रहने वाला है, जबकि उनकी पत्नी मेहसाणा के एक गांव की है। वे दोनों उच्च शिक्षा के लिए कनाडा गए थे। वही, दोनों में प्रेम हो गया और साथ में रहने लगे 2018 में दोनों ने वहां अधिकारिक रूप से विवाह कर लिया। गिरिराज कनाडा के स्थाई निवासी हैं। उच्च शिक्षा के बाद इसीलिए इन दोनों को वहां व्हाइट कॉलर जॉब मिल गया।
गिरिराज ने अदालत को बताया कि मई, 2020 में उनकी पत्नी अपने माता-पिता से मिलने के लिए मेहसाणा आई उसके बाद से उन दोनों का संपर्क टूट गया। वह अपनी पत्नी से संपर्क भी नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि माता-पिता ने अपनी बेटी के यात्रा दस्तावेज भी छीन लिए हैं, ताकि वह वापस कनाडा नहीं जा सके। गिरिराज का कहना है कि माता-पिता उन दोनों की शादी से खुश नहीं थे। इसलिए अब बेटी को उसके पास भेजने को तैयार नहीं हैं। न्यायाधीश सोनिया गोकाणी ने पुलिस को युवती को तलाश कर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश करने को कहा है। युवक ने पत्नी की जान को खतरा बताया है। उसका कहना है कि वह स्वयं राजस्थान से हैं और उनकी पत्नी मेहसाणा से है। उन दोनों की जाति अलग होने से उनकी पत्नी के माता-पिता इस विवाह से नाराज हैं।
गौरतलब है कि गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मस्जिदों में अजान के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। दलील दी गई है कि मस्जिद में अजान के लिए लाउडस्पीकर के उपयोग से दूसरे समुदाय के लोगों को परेशानी महसूस होती है। तड़के और देर रात को लाउडस्पीकर पर अजान से लोगों की नींद में बाधा पहुंचती है। बॉलीवुड गायक सोनू निगम ने भी एक बार सोशल मीडिया पर अजान से परेशानी होने का मुद्दा उठाया था। देशभर में इसकी खूब चर्चा हुई थी और टीका-टिप्पणी भी की गई थी।
गांधीनगर के डॉ धर्मेद्र प्रजापति ने वकील धर्मेश गुर्जर के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा कि लाउडस्पीकर पर अजान से एक धर्म के लोगों को परेशानी महसूस होती है। इससे संविधान में प्रदत्त उनके मूल अधिकार व अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार का हनन होता है। याचिका में कहा गया है, लाउडस्पीकर पर होने वाली अजान से सुबह या रात को नौ बजे सोने की तैयारी कर रहे लोगों की नींद व शांत जीवन में बाधा उत्पन्न होती है। भारत में 1930 के बाद लाउडस्पीकर आए। इससे पहले अजान व अन्य धार्मिक कार्य बिना लाउडस्पीकर से ही होते थे। दुनिया के कई विकसित देशों में लाउडस्पीकर से अजान पर रोक लगाई जा चुकी है, इसलिए गुजरात में भी स्थायी रूप से इन पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।