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Gujarat: गोल्ड मेडलिस्ट सरिता गायकवाड़ एक किलोमीटर दूर कुएं से पानी लाने को मजबूर

Gold medalist Sarita Gaekwad. देश का नाम रोशन करने वाली गोल्ड मेडलिस्ट सरिता गायकवाड़ एक किलोमीटर दूर कुएं से पानी लाकर प्यास बुझाने को मजबूर है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 04:46 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 04:46 PM (IST)
Gujarat: गोल्ड मेडलिस्ट सरिता गायकवाड़ एक किलोमीटर दूर कुएं से पानी लाने को मजबूर
Gujarat: गोल्ड मेडलिस्ट सरिता गायकवाड़ एक किलोमीटर दूर कुएं से पानी लाने को मजबूर

अहमदाबाद, संवाद सूत्र। Gold medalist Sarita Gaekwad. कोरोना संकट के बीच भीषण गर्मी में गुजरात के ग्रामीण इलाकों में जल संकट गहराने लगा है। देश का नाम रोशन करने वाली गोल्ड मेडलिस्ट सरिता गायकवाड़ एक किलोमीटर दूर कुएं से पानी लाकर प्यास बुझाने को मजबूर है।

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आदिवासियों के लिए राज्य के बजट में करोड़ों रुपये का विशेष प्रावधान होने के बाद भी राज्य के आदिवासी बाहुल्य़ डांग जिले में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। गुजरात को विश्व में सम्मान दिलाने वाली  सरिता गायकवाड़ के फोटो राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित विश्व प्रसिद्ध हस्तियों के साथ हैं, लेकिन अपने गांव में जाने पर उसे एक किलोमीटर दूर से पेयजल लाना पड़ता है। वह भी जंगली रास्तों से ही गुजर कर।

सरिताबेन लक्ष्मणभाई गायकवाड़ का जन्म जून 1994 को गुजरात राज्य के आदिवासी बाहुल्य़ डांग जिला के करड़ीआंबा गांव में हुआ था। आदिवासी परिवार में जन्मी युवती को खेलों में विशेष रुचि थी। उसने 2010 में राज्य स्तरीय खोखो प्रतियोगिता में हिस्सा लिया।

सरिता गायकवाड़ को 2018 में 400 मीटर की दौड़ के लिए भारतीय महिला टीम में चयन किया गया था। वह गुजरात से चयनित होने वाली पहली महिला खिलाड़ी थी। उसने 400 मीटर रिलेदौड़ में देश को स्वर्ण पदक दिलाया। इसमें देश की अन्य तीन महिला खिलाड़ियों में एमआर पूवम्मा, हिमा दास और वीकेविस्मया भी शामिल थी। अंतिम दौर की स्पर्धा में सरिता गायकवाड़ ने स्वर्ण पदक जीत लिया। इस जीत से कामन वेल्थ गेम में भारत देश का नाम रोशन हुआ। वह गुजरात सरकार के बेटी बचाओ अभियान की ब्रांड एंबेसडर भी है।

सरिता गायकवाड़ ने बताया कि उनके गांव में पानी की बहुत ही समस्या हैं। वे अपने गांव से एक किलोमीटर दूर से पानी भर कर लाती है। उनके पिता लक्ष्मणभाई ने बताया कि डांग जिले में बारिश तो बहुत होती है। इसके बाद भी यहां गर्मी में पानी की बहुत ही समस्या होती है। यहां सरकार की तरफ से डैम बनाने का काम शुरू हुआ है, लेकिन अभी तक खत्म नहीं हुआ है। अधिकारी भी कोई ध्यान नहीं देते हैं।


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