गुजरात में जलसंकट गहराया, कच्छ से पलायन शुरू
Water crisis in Gujarat. गुजरात के नवसारी और कच्छ सौराष्ट्र के साथ ही मध्य गुजरात के बड़ौदा शहर में भी पानी की किल्लत है।
अहमदाबाद, अजय शर्मा। गुजरात में गत कई दिनों से तापमान 45 के पार होने पर जहां लोग इसके शिकार हो रहे हैं, वहीं अब जलसंकट भी गहराता जा रहा है। राज्य के डैम में जहां 25 प्रतिशत पानी है, वहीं प्रशासन को टैंकर द्वारा जलापूर्ति के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उत्तर गुजरात के बनासकांठा जिले में लगाए गए 25 हजार हैंडपंप में से एक हजार हैंडपंप बिगड़े हुए हैं। उत्तर गुजरात के नवसारी और कच्छ सौराष्ट्र के साथ ही मध्य गुजरात के बड़ौदा शहर में भी पानी की किल्लत है। यहां राज्यमंत्री योगेश पटेल को पेयजल संकट के लिए मनपा अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटने पड़े। सरकार ने हालात के मद्देनजर मंगलवार को कैबिनेट की बैठक हो रही है, इसमें राज्य में जल की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
राज्य में गत कई दिनों से जारी हीट वेव और गर्मी के साथ ही पेयजल समस्या भी गहराने लगी है। राज्य के अधिकांश डैम सूख गए हैं। राज्य सरकार के ‘सब कुशल है’ के दावों के बीच राज्य के 717 गांवों में टैंकर से पानी की आपूर्ति की जा रही है। मेट्रो सिटी का दर्जा प्राप्त अहमदाबाद शहर में भी जल संकट गहराया है। यहां कई क्षेत्रों में बहुत कम प्रेशर से जलापूर्ति होने पर लोग पेयजल के लिए इधर-उधर भटकने पर मजबूर हैं।
राज्य के नवसारी में लोग खरीद रहें है पानी
यहां नवसारी नगरपालिका में जल संकट विकट बना हुआ है। जलापूर्ति योजना ‘हवा हवाई’ साबित हो रही है। यहां नगरपालिका द्वारा दिया जा रहा पानी पीने के काबिल ही नहीं है। यहां जलालपोर सहित पश्चिम विस्तार के लोग पांच रुपये में एक घड़ा पानी खरीदने के लिए मजबूर हैं। यहां करोड़ों रुपये की जलापूर्ति योजना और मधुरजल योजना कागजी साबित हुई है।
नवसारी नगरपालिका वाटर वर्क्स कमेटी के चेयरमैन त्रिभोवनदास चावड़ा के अनुसार पानी की समस्या निवारण के लिए छह बोर करवाया गया, परन्तु तीन बोर फेल होने पर पानी की कमी हुई है। बोर का पानी और फिल्टर प्लांट का पानी मिक्स कर आपूर्ति की जा रही है। स्थानीय लोगों की शिकायत है कि इस पानी से दूध फट जाता है। चाय बनाते हैं तो वह भी फट जाती है। लोग पानी के लिए केन लेकर इधर-उधर भटकते रहते हैं।
राज्य के वलसाड जिले में भी जलसंकट गहराया है। यहां नगरपालिका क्षेत्र में गत छह दिनों से जलापूर्ति नहीं की जा रही है। स्थानीय लोग पेयजल के लिए जुलूस आयोजित कर नारेबाजी कर रहे हैं।
वडोदरा शहर में भी जलसंकट
राज्य के मध्य क्षेत्र वडोदरा में भी जल संकट गहराया हुआ। राज्य के कैबिनेट मंत्री योगेश पटेल और विधानसभा के अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिवेदी यहीं के हैं। जल संकट के निवारण के लिए योगेश पटेल मनपा अधिकारियों से भेंट कर इसके निवारण की मांग की है
कच्छ और सौराष्ट्र में भी जल संकट, पशुओं के साथ लोगों का पलायन
राज्य के कच्छ और सौराष्ट्र में भी जल संकट गहराया हुआ है। जहां पशुओं के पानी के लिए जल संग्रह किया गया है, लोग वहां से पानी पीने के लिए मजबूर हैं। कच्छ में गत 30 वर्ष में यह सबसे बड़ा दुकाल है। यहां पिछले वर्ष केवल 12 मिलीमीटर बरसात हुई। यहां पानी के अभाव में सैकड़ों पशुओं की मौत हुई है, वहीं लोग पेयजल के अभाव में पलायन करने पर मजबूर है।
राज्य में सौराष्ट्र के 138 डैम में केवल 11.82 प्रतिशत पानी बचा है। राज्य के 50 तहसील सूखे की चपेट में हैं। जलापूर्ति विभाग के अनुसार राज्य के 204 डैम में 34.41 प्रतिशत तो नर्मदा डैम में 50.82 प्रतिशत पानी है। सौराष्ट्र के 138 जलाशयों में 11.82 प्रतिशत पानी बचा हुआ है। कच्छ के 20 डैम में 13.32 प्रतिशत, उत्तर गुजरात के 15 डैम में 16.60 प्रतिशत पानी है। वहीं दक्षिण गुजरात के 12 डैम में 24.19 प्रतिशत तो मध्यगुजरात 17 डैम में 48.22 प्रतिशत बचा है।
कच्छ में बन्नी पश्चिम के अनेक गांवों में हजारों लोग पानी के अभाव में पलायन कर गए हैं। ये लोग राज्य के साणंद और धोलका में टिके हुए हैं। यही हालात उत्तर गुजरात की है। यहां बनासकांठा सहित कई क्षेत्रों में जल संकट व्याप्त है। लोगों को एक घड़ा पानी के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ता है। यहां के लोग बरसाती पानी वाले गड्ढ़ों से प्रदूषित पानी लाकर पीने के लिए मजबूर हैं। जल संकट से हाहाकार मचा हुआ है। राज्य सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कैबिनेट की बैठक में विचार-विमर्श कर रही है।
गुजरात सरकार ने जारी की हेल्पलाइन
गुजरात सरकार के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने दावा किया है कि 30 जुलाई तक जलाशयों में राज्य के छह करोड़ लोगों के लिए पर्याप्त पानी है। इसके बाद भी शहरों व गांवों में जहां भी जल संकट की स्थिति हो तो लोग 1916 हेल्पलाइन नंबर डायल कर राहत पा सकते हैं। यह हेल्पलाइन नंबर राज्य की राजधानी गांधीनगर में चौबीसों घटे कार्यरत रहेगी।