मोरबी पुल हादसे में पीड़ितों को मिलेगी राहत, ओरेवा समूह ने अंतरिम मुआवजे की 50 फीसदी राशि की जमा
हाईकोर्ट ने 22 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कंपनी को क्रमशः 10 लाख रुपये और 2 लाख रुपये की राशि को दोगुना करने का निर्देश दिया था। ओरेवा ग्रुप मोरबी में अंग्रेजों के जमाने के पुल के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार था।
अहमदाबाद, राज्य ब्यूरो। मोरबी के झूलता पुल हादसे के लिए जिम्मेदार ओरेवा समूह की ओर से पुल दुर्घटना के पीड़ितों के लिए अंतरिम मुआवजे की राशि की 50 फीसदी रकम जमा करा दी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए जे देसाई और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की खंडपीठ को ओरेवा समूह ने बताया कि कुल राशि का 50 प्रतिशत गत 14 मार्च को जमा करा दिया है। बाकी का भुगतान 11 अप्रैल तक किया जाएगा। कंपनी ने अंतरिम मुआवजे के रूप में 135 मृतकों में से प्रत्येक के परिजनों को 5 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये देने का प्रस्ताव दिया था।
हादसे में 135 लोगों की हो गई थी मौत
हालांकि, हाईकोर्ट ने 22 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कंपनी को क्रमशः 10 लाख रुपये और 2 लाख रुपये की राशि को दोगुना करने का निर्देश दिया था। ओरेवा ग्रुप (अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड) मोरबी में मच्छू नदी पर अंग्रेजों के जमाने के पुल के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार था। यह पुल गत 30 अक्टूबर 2022 को टूट गया था, इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी और 56 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उच्च न्यायालय एक जनहित याचिका पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रहा है।
सोमवार को उच्च न्यायालय ने ओरेवा समूह के हलफनामे को रिकॉर्ड में लिया और कंपनी को शेष राशि जमा करने के लिए समय दिया। अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी। हाईकोर्ट के निर्देश पर ही कंपनी के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल को पुल टूटने के मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया था, वे अभी न्यायिक हिरासत में है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि ओरेवा समूह द्वारा जमा की गई राशि का आधा हिस्सा दावेदारों को सीधे उनके बैंक खातों में उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि शेष राशि को एक राष्ट्रीयकृत बैंक में एक संचयी सावधि जमा में निवेश किया जाएगा।
जल्द मुआवजा राशि का वितरण किया जाएगा सुनिश्चित
प्रत्येक मृतक को राज्य सरकार ने 8 लाख रुपये और केंद्र सरकार ने 2 लाख रुपये का मुआवजा दिया था, जबकि घायलों को 2-2 लाख रुपये मिले हैं। उच्च न्यायालय ने गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को यह भी निर्देश दिया था कि पीड़ितों के सत्यापन के बाद जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और संबंधित सरकारी अधिकारियों के समन्वय से मुआवजा राशि का वितरण सुनिश्चित किया जाए।