2008 Ahmedabad Serial Blasts Case: खौफनाक मंजर को याद कर आज भी सहम जाते हैं पीड़ित
2008 Ahmedabad Serial Blasts Case बम धमाकों में पिता व 11 साल के भाई को गंवाने वाले यश उस खौफनाक मंजर को याद कर सहम जाते हैं। विस्फोट में बुरी तरह से घायल व आइसीयू में जिंदगी व मौत से संघर्ष करने वाले यश की उम्र तब नौ साल थी।
अहमदाबाद, प्रेट्र। गुजरात के अहमदाबाद में हुए बम धमाकों में लैब टेक्नीशियन पिता और 11 साल के भाई को गंवाने वाले यश व्यास उस खौफनाक मंजर को याद कर आज भी सहम जाते हैं। विस्फोट में बुरी तरह से घायल और चार महीने तक आइसीयू में जिंदगी और मौत से संघर्ष करने वाले यश की उम्र तब नौ साल थी और उनके पिता अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल में कैंसर विभाग में लैब टेक्नीशियन थे। विस्फोट की वजह से आज भी वह कम सुन बाते हैं। अब बीएससी दूसरे वर्ष में पढ़ने वाले 22 साल के यश कहते हैं कि उन्हें और उनकी मां को लंबे समय से इस दिन का इंतजार था। उन्होंने कहा कि जिन 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई है, उन्हें भी फांसी की सजा होनी चाहिए थी, क्योंकि ऐसे लोग किसी भी तरह की दया के पात्र नहीं हैं।
यश के पिता और भाई मारे गए थे
यश ने बताया कि घटना वाले दिन उनके पिता उन्हें और उनके भाई को अस्पताल के खुले मैदान में साइकिल चलाना सीखा रहे थे। शहर के दूसरे भागों में हुए विस्फोट में घायलों को एंबुलेंस से शाम 7:30 बजे अस्पताल लाया गया तो उनके पिता भी उनकी मदद के लिए ट्रामा सेंटर चले गए। वो लोग भी उनके साथ थे। अचानक ट्रामा सेंटर में विस्फोट हुआ, जिसमें उनके पिता और भाई की मौत हो गई। ट्रामा सेंटर में दो बम धमाके हुए, जिसमें कई लोग मारे गए और कई घायल हुए थे।
डाक्टर दंपत्ति भी मारे गए थे
सरकारी अस्पताल में ही तैनात डा. प्रेरक शाह उस दिन अपनी पत्नी किंजल को लेकर महिला डाक्टर को दिखाने गए थे। किंजल गर्भवती थीं। अस्पताल में हुए धमाके में दोनों मारे गए थे। डा. प्रेरक के पिता रमेश शाह ने फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि सभी को फांसी की सजा होनी चाहिए थी।
सैंडविच बेचने वाले काडिया ने पत्नी को खो दिया था
पुराने अहमदाबाद शहर के रायपुर चकला इलाके में ठेले पर सैंडविच बेचने वाले जगदीश काडिया के दिल में विस्फोट का दर्द आज भी ताजा है। उस दिन उनके साथ उनकी पत्नी हसुमति काडिया भी थीं। उनके ठेले के पास ही बम धमाका हुआ था और उनकी पत्नी की मौत हो गई थी। अब 65 साल के हो चुके काडिया कहते हैं वह आज भी उस दिन को और अपनी पत्नी को नहीं भूले हैं। धमाके के बाद से उनकी जिंदगी वीरान हो गई और एकाकी जीवन जी रहे हैं।