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गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि सभी समस्याओं का निवारण गांधी विचारों में है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 02 Oct 2018 06:00 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 06:00 PM (IST)
गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया
गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया

अहमदाबाद, जेएनएन। साबरमती आश्रम में राज्यपाल ओपी कोहली, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, गांधीवादी डॉ रानी बेंग, सेवा की संस्थापक इला भट्ट आदि की उपस्थिति में गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया गया। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी पोरबंदर कीर्ति मंदिर में आयोजित प्रार्थना सभा में शामिल हुए। रूपाणी ने कहा कि सभी समस्याओं का निवारण गांधी विचारों में है। गांधीजी का जीवन ही मानवमात्र के लिए संदेश है तथा सत्य, अहिंसा व स्वच्छता का पालन करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 

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साबरमती आश्रम में गांधी जयंती पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। शहर के विविध स्कूल के बच्चे, युवा, महिलाएं व पुरुषों का दिनभर यहां तांता लगा रहा। विविध संस्थाओं की ओर से यहां गांधी के जीवन व आदर्श से ओत प्रोत प्रस्तुतियां दी गई। स्कूल के बच्चे गांधी-कस्तूरबा बनकर जहां एक संदेश देने का प्रयास कर रहे थे, वहीं एक बुजुर्ग ने पर्यावरण की रक्षा के लिए गांधी विचार को अपनाने की अपील करता नजर आया। इस बीच, पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी एक बार फिर गांधी जयंती से प्रतीक उपवास की शुरुआत कर दी है।

गढचिरौली महाराष्ट्र की गांधीवादी डॉ रानीबेन बेंग ने गांधी जयंती पर साबरमती आश्रम में गांधी व महिला स्वास्थ्य विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में कहा कि आदिवासी समाज में प्रचलित कई परंपराएं हमारी आधुनिक व्यवस्था से भी अधिक प्रमाणिक है, मसलन इस समाज में चोरी, दुष्कर्म की घटनाएं नहीं होती, दहेज प्रथा नहीं है, लड़की शादी से पहले पति के साथ रहती व गर्भवती भी हो जाती है, लेकिन इसके कई वर्ष बाद तक शादी हो जाती है।

आदिवासियों कई मामले गांव की चौपाल पर ही निपटा लिए जाते हैं। आदिवासी समाज में प्रचलित अंधविश्वास उनकी बदहाली का बड़ा कारण है। भारत सरकार की आयुष्मान भारत व स्वच्छता अभियान की सराहना करते हुए रानी बेंग बोली की गांधी प्रासंगिक हैं, सरकार की ये योजनाएं इसका प्रमाण हैं। उनका मानना है कि देश में इन योजनाओं से बड़ा बदलावा आएगा, बशर्ते इनका पालन सही तरीके से हो। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को आधुनिक बनाने से गांवों में भी अच्छी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध होंगी।

रानी बेंक का मानना है कि जागरूकता व गांधीवादी विचारधारा से काम कर आदिवासी ही नहीं बल्कि नक्सलियों को भी मुख्य धारा में लाया जा सकता है।

गढचिरौली में गरीब आदिवासियों को स्वास्थ्य सेवाओं के साथ सामाजिक उत्थान के कार्य के दौरान नक्सलियों से मुलाकात की। दो घटनाओं का जिक्र करते हुए उनहोंने बताया कि एक बार शिविर में ऑपरेशन के दौरान कुछ लोगों के अंधे हो जाने का दोष जब उन पर मंढ दिया गया तो उनके इलाके के नक्सली कमांडर ने कहा कि रानीबेन समाज के भले का काम कर रही हैं, मीडिया में छपी रिपोर्ट झूठी है। वहीं, एक बार नक्सलीयों की ओर से आर्थिक मदद मांगने पर जब उन्होंने साफ इनकार कर दिया तो उनके टॉप कमांडर ने पत्र लिखकर माफी मांगते हुए कहा कि उन्हें अपने किए पर पश्चाताप है। व्याख्यानमाला में सेवा संस्था की संस्थापक इलाबेन भट्ट भी मौजूद रहीं।


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