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Durga Puja 2019: गुजरात के इस गांव में वाहन ले जाने पर दशहरा तक है प्रतिबंध, 350 वर्ष पुरानी परंपरा

गुजरात में आज भी एक ऐसा गांव है जहां अषाढ़ महीने की चतुर्दशी से कार्तिक महीने के दशहरा तक ऊंट गाड़ी बैल गाड़ी रथ दुपहिया व चार पहिया वाले वाहनों को गांव के बाहर ही खड़ा करते

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 11:37 AM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 11:41 AM (IST)
Durga Puja 2019: गुजरात के इस गांव में वाहन ले जाने पर दशहरा तक है प्रतिबंध, 350 वर्ष पुरानी परंपरा
Durga Puja 2019: गुजरात के इस गांव में वाहन ले जाने पर दशहरा तक है प्रतिबंध, 350 वर्ष पुरानी परंपरा

अहमदाबाद, जेएनएन। गुजरात में आज भी एक ऐसा गांव है, जहां के लोग अषाढ़ महीने की चतुर्दशी से कार्तिक महीने के दशहरा तक गांव में ऊंट गाड़ी, बैल गाड़ी, रथ, दुपहिया और चार पहिया वाले वाहनों को गांव के बाहर ही खड़ा करते है। 350 साल पहले गुरु महाराज के आदेश पर बीमारी से बचने के लिए यह युक्ति आजमायी गई थी।

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गुजरात के पालनपुर तहसील के वाघणा गांव में एक अनोखी और लोगों के आस्था के साथ जुड़ी परम्परा आज भी जारी है। यहां बारिश की शुरुआत अषाढ़ सुदी चतुर्दशी से दशहरा तक रथ सहित छोटे-बड़े वाहनों के ले जाने पर प्रतिबंध है। गांव वाले या गांव में आने वाले अन्य गावों के आगंतुक अपना वाहन गांव के बाहर ही रखकर गांव में प्रवेश करते हैं।

इस गांव में गुरु महाराज का वर्षो पुराना मंदिर है। ग्रामीणों में गुरु महाराज के प्रति अटूट विश्वास है। इनक विश्वास है कि गुरु महाराज के आशीर्वाद से ही गांव में किसी बड़ी बिमारी का प्रकोप नहीं होता। गांव के लोग 350 वर्ष पुरानी अपनी इस परम्परा को आज भी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ पालन कर रहे हैं।

मान्यता के अनुसार वर्षों पूर्व महामारी फैलने से गांव के बहुत से लोगो की मौत हो गई जाती थी। ऐसा हर वर्ष होता था। इससे बचने के लिए ग्रामीणओं ने 12 वर्ष तक तपस्या करने के बाद मंदिर के महाराज प्राणभारती के पास गये। गुरु महाराज ने उनसे कहा कि वे अषाढ़ महीने की चतुर्दशी से कार्तिक महीने के दशहरा तक रथ, बैलगाड़ी, ऊंट गाड़ी का गांव में प्रवेश न होने दे। इसका पालन करने पर रोग खत्‍म हो गया था।

आज भी गांव के लोग इस प्रथा का बड़ी चुस्ती के साथ पालन करते है। इस समय दौरान गांव में दुपहिया, तिपहिया और चार पहिया वाले वाहनों पर प्रतिबंध है। हालांकि ये वाहन उस समय अस्तित्व में ही नहीं थे।  


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