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महात्मा गांधी के गुजरात विद्यापीठ की निगरानी करेगी राज्य सरकार

गुजरात विद्यापीठ में भर्ती के खिलाफ हाईकोर्ट में मुकदमा दायर हुआ है इस प्रकार आदिवासी संशोधन केन्द्र पूरी तरह से सरकार के अधीन हो गया है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 07 Mar 2020 02:02 PM (IST)Updated: Sat, 07 Mar 2020 02:02 PM (IST)
महात्मा गांधी के गुजरात विद्यापीठ की निगरानी करेगी राज्य सरकार
महात्मा गांधी के गुजरात विद्यापीठ की निगरानी करेगी राज्य सरकार

अहमदाबाद, जेएनएन। महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ में भर्ती के खिलाफ हाईकोर्ट में मुकदमा दायर हुआ है। अब यहां आदिवासी संशोधन एवं प्रशिक्षण केन्द्र में राज्य सरकार द्वारा आदिवासी विकास आयुक्त को डायरेक्टर के पद पर नियुक्त कर देने से चर्चा का एक नया दौर शुरु हो गया है। इस प्रकार गुजरात विद्यापीठ द्वारा संचालित आदिवासी संशोधन केन्द्र पूरी तरह से सरकार के अधीन हो गया है। अब इस केन्द्र पर सरकार की निगरानी रहेगी।

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गांधी विचारों के साथ आदिवासियों के निर्माण एवं विकास के लिए गुजरात विद्यापीठ में 1962 में आदिवासी संशोधन एवं प्रशिक्षण केन्द्र शुरु किया गया था। इस केन्द्र में आदिवासियों के जीवन एवं संस्कृति पर अध्ययन किया जाता है। गांधी मूल्यों के साथ शुरु हुए इस केन्द्र में सुचारु रुप से संचालन नहीं होने के कारण सरकार ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया है। इस आदिवासी संशोधन एवं प्रशिक्षण केन्द्र में 2016 से स्थायी डायरेक्टर ही नहीं है। गुजरात विद्यापीठ में वर्षों से संशोधन अधिकारी का कार्य कर रहे तथा 12 वर्षों से डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहे चंद्रकांत उपाध्याय की सेवा निवृति के बाद विद्यापीठ ने उन्हें ही इंचार्ज डायरेक्टर नियुक्त कर दिया था। वे गत वर्ष विदेश चले गये।  

विद्यापीठ ने पूर्व रजिस्ट्रार राजेन्द्र खीमाणी को केन्द्र का इन्चार्ज डायरेक्टर नियुक्त किया। गुजरात विद्यापीठ के सूत्रों के अनुसार चंद्रकांत उपाध्याय विदेश से वापस आ गये हैं, किन्तु उन्हें केन्द्र का चार्ज नहीं सौंपा गया। गत आठ महीने से डायरेक्टर की नियुक्ति नहीं होने से उचित संचालन न होने से राज्य सरकार ने आदिवासी विकास आयुक्त को डायरेक्टर के पद पर नियुक्त कर दिया।

इस बारे में गुजरात आदिवासी विभाग के सेक्रेटरी अनूप आनंद ने बताया कि गुजरात विद्यापीठ ने स्थायी डायरेक्टर की नियुक्त ही नहीं की थी। इस बारे में विद्यापीठ को कई बार कहा गया, परन्तु डायरेक्टर की नियुक्ति फिर भी नहीं की गयी। इस प्रकार आदिवासी संशोधन और प्रशिक्षण केन्द्र का संचालन यथोचित तौर तरीकों से नहीं चल रहा था।  के इस केन्द्र को राज्य सरकार संपूर्ण ग्रांट देती है। फिर भी संशोधन के कार्य में वेग न आने पर आदिवासी विकास आयुक्त को केन्द्र का डायरेक्टर नियुक्त कर दिया गया है। इस बारे में विद्यापीठ को नोटिस भी दे  दिया गया है। इस प्रकार भर्ती का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के बाद अब डायरेक्टर के पद पर नियुक्ति से गुजरात विद्यापीठ चर्चा में है।


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