Move to Jagran APP

जब यहां के लोगों ने कलेक्टर को कुर्सी पर बैठने से रोका, जानिए क्या है मामला

collector. यहां के कलेक्टर उस वक्त भौचक्के रह गए जब कुछ लोगों ने खुद को आदिवासी राजपरिवार का सदस्य बताते हुए उन्हें चेताया कि उनके सामने वे कुर्सी पर नहीं बैठ सकते।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 03:44 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 04:21 PM (IST)
जब यहां के लोगों ने कलेक्टर को कुर्सी पर बैठने से रोका, जानिए क्या है मामला
जब यहां के लोगों ने कलेक्टर को कुर्सी पर बैठने से रोका, जानिए क्या है मामला

अहमदाबाद, जेएनएन। आदिवासी बहुल डांग में नवनियुक्त कलेक्टर उस वक्त भौचक्के रह गए जब कुछ लोगों ने खुद को आदिवासी राजपरिवार का सदस्य बताते हुए उन्हें चेताया कि उनके सामने वे कुर्सी पर नहीं बैठ सकते। आदिवासी समुदाय के पांच राजपरिवारों ने राज्यपाल ओपी कोहली को पत्र लिखकर इन पर नक्सली प्रव्रत्ति में शामिल होने व जंगल की संपत्ति पर अधिकार जमाने का आरोप लगाया है।

gujarat banner

जानें, क्या है मामला

आजादी से पहले अंग्रेजों के जमाने में गुजरात के आदिवासी बहुल डांग जिले में डांगी भील नामक राजा का राज था। वर्ष 1818 में अंग्रेजों ने डांग में अपना राज कायम करने के लिए ताकत का इस्तेमाल किया, लेकिन भील राजा ने अंग्रेजों को यहां से खदेड दिया। बाद में अंग्रेजों ने डांगी भील से जंगल लीज पर ले लिया। आजादी के बाद नई सरकार ने भी जल जंगल जमीन पर इनके अधिकार को मानते हुए जंगल व उसके संसाधनों पर भारत सरकार के अधिकार के बदले उनको सालाना एक रकम देना तय हुआ जिसे सालियाणा कहा जाता है। गुजरात के राज्यपाल आज भी होली के मौके पर आयोजित डांग दरबार में जाकर 663 भाउबंधुओं को यह रकम भेंट करते हैं। डांग के आदिवासी इलाके में सक्रियी ईसखंडी जागीरी विकास मंडल के कुछ लोग भी खुद को राजपरिवार का सदस्य बताते हैं।

डांग आहवा में गत दिनों आदिवासियों ने जल जंगल व जमीन के अधिकार को लेकर रैली का आयोजन किया। इसमें हमारी जमीन जंगल वापस लौटाओ के नारे भी लगे, लेकिन उस वक्त जिला प्रशासन को आश्चर्य हुआ जब गलकुंड उखाटिया गांव के गनसुभाई गटुजी पवार नामक एक व्यक्ति ने मुगलों से दोन जागिरी मिलने का दावा करते हुए जिला कलेक्टर एनके डामोर से कहा कि राजपरिवार के सदस्य होने के कारण उनके सामने कलेक्टर को कुर्सी पर बैठने का अधिकार नहीं है। बाद में जिला प्रशासन के कुछ लोगों ने समझा-बुझाकर मामला शांत कराया। घटना की जानकारी आदिवासी राजपरिवारों को मिली तो उन्होंने ईसखंडी जागिरी विकास मंडल पर डांग के जंगल व संसाधनों पर अवैध कब्जा जमाने तथा नक्सली गतिविधियों को प्रोत्साहन देने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल ओपी कोहली से मामले की जांच की अपील की है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.