गुजरात घर में ही तैयार कर रहा सिंहों के रहवास
गुजरात में फिलहाल छह सौ से अधिक सिंह हैं। जिन्हें तीन क्षेत्रों में बांटकर सरकार उन्हें महामारी से बचाने का आधार तैयार कर रही है, लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसा मुमकिन नहीं है।
भोपाल, नई दुनिया स्टेट ब्यूरो। विश्व प्रसिद्ध एशियाटिक लायन (सिंह) मध्य प्रदेश को न देने पड़ें, इसलिए गुजरात सरकार 'घर' में ही सिंहों के नए रहवास विकसित कर रही है। ताकि केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को बताया जा सके कि महामारी की स्थिति में विलुप्त होती इस प्रजाति को बचाने में राज्य सक्षम है। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों ने इसी आधार पर 25 साल पहले सिंहों को गुजरात से बाहर बसाने की सलाह दी थी। तभी श्योपुर के कुनो पालपुर में सिंहों को बसाने के लिए अभयारण्य तैयार किया गया था।
गुजरात सरकार ने इस साल 18 अक्टूबर को सिंहों का तीसरा अंबाड़ी अभयारण्य शुरू किया है। चार एकड़ क्षेत्र में विकसित किए गए अभयारण्य में 16 सिंह रखे जाएंगे और लायन सफारी भी कराई जाएगी। इस परियोजना पर करीब 13 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। सारी मशक्कत सिंहों को गुजरात से बाहर जाने से रोकने के लिए है। जहां गुजरात सरकार इस मामले में खुद को लगातार मजबूत कर रही है, वहीं मध्य प्रदेश सरकार अपने हक की बात भी नहीं करना चाहती। वन अफसर पहली योजना को लगभग छोड़ चुके हैं और दूसरी योजना (बी प्लान) पर काम भी शुरू कर दिया है। जिसके तहत चिडिय़ाघरों के सिंहों को कुनो में शिफ्ट किया जाना है। उल्लेखनीय है कि अंबाड़ी के अलावा गिर अभयारण्य का क्षेत्र बढ़ाकर उसके दो हिस्से किए गए हैं। उधर, केंद्र और मप्र सरकार 25 साल में कुनो पर दो सौ करोड़ से ज्यादा राशि खर्च कर चुकी है।
क्षेत्र अलग करने से भी सुरक्षित नहीं सिंह
गुजरात में फिलहाल छह सौ से अधिक सिंह हैं। जिन्हें तीन क्षेत्रों में बांटकर सरकार उन्हें महामारी से बचाने का आधार तैयार कर रही है, लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसा मुमकिन नहीं है। वन्यप्राणी विशेषज्ञ डॉ. सुदेश वाघमारे कहते हैं कि 1980 के दशक में गिर में महामारी फैलने से बड़ी संख्या में सिंह मर चुके हैं। इसके बाद संख्या बढ़ी है, लेकिन सभी सिंह एक ही संतति (परिवार) के हैं। जिनमें वंशानुगत बीमारियों का खतरा ज्यादा है। दूसरी जगह बसाने पर सिंहों को संक्रमणकारी बीमारियों से बचाया जा सकता है।
अफसरों को पार्टी बनाएंगे दुबे आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कुनो पालपुर परियोजना को लेकर प्रदेश के वन अफसरों के रवैए पर आपत्ति की है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे इस मामले में अभी तक केंद्र और गुजरात सरकार ही पार्टी है। अब मप्र सरकार और यहां के वन अफसरों को भी पार्टी बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि ये अफसर लगातार कोर्ट में लड़ाई भी लड़ रहे हैं और अपनी ओर से पर्याप्त प्रयास भी नहीं कर रहे हैं।
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