सुप्रीम कोर्ट का आसाराम को जमानत देने से इनकार, गुजरात में ट्रायल कोर्ट से सुनवाई पूरी करने को कहा
Supreme Court. यौन शोषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को जमानत देने से इनकार कर दिया।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आसाराम को उनके खिलाफ यौन शोषण मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मुकदमे को पहले पूरा करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में ट्रायल कोर्ट से मामले की सुनवाई पूरी करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में आसाराम बापू के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी। जस्टिस एनवी रमना की पीठ ने यह फैसला तब सुनाया, जब गुजरात सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि मामले की निचली अदालत में सुनवाई जारी है और अभी 210 गवाहों का परीक्षण होना बाकी है। पीठ ने जमानत याचिका रद करते हुए कहा कि निचली अदालत सुनवाई जारी रखे और वह गुजरात हाई कोर्ट द्वारा की गई प्रथमदृष्टया टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना अपना काम करे।
गौरतलब है कि सूरत की रहने वाली दो बहनों ने आसाराम और उसके बेटे नारायण के खिलाफ दुष्कर्म और बंदी बनाकर रखने के अलावा अन्य मामलों में अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई है। इससे पहले आसाराम ने हाई कोर्ट में अपनी पूरी जिंदगी जेल में काटने की सजा पर रोक लगाने के लिए 26 मार्च, 2019 को याचिका दायर की थी। जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी। आसाराम पर पहले से ही दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज है। जोधपुर की अदालत ने राजस्थान में साल 2013 में 16 साल की एक लड़की के साथ दुष्कर्म करने के मामले में आसाराम को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में फिलहाल वह जोधपुर जेल में बंद हैं।
गौरतलब है कि नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में जेल की हवा खा रहे आसाराम बापू को गुजरात में एक तरह से राजगुरु की हैसियत हासिल थी। सैकड़ों आश्रम उन्होंने खड़े किए। उनके शिष्यों की संख्या करोड़ों में रही है। साथ ही, इनके दरबार में भी हाजिरी लगाने वाले नेताओं की लिस्ट बहुत लंबी रही है।
गुजरात के सूरत दुष्कर्म मामले में आसाराम ने जमानत मांगी थी। मामले की सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि आसाराम के खिलाफ सूरत में चल रहे दुष्कर्म मामले में अभी दस गवाहों के बयान दर्ज होने बाकी है। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को कहा कि हाईकोर्ट की टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना मामले का निपटारा करे।
ताउम्र जेल की सजा काट रहे आसाराम की सजा पर रोक लगाने की याचिका 26 मार्च, 2019 को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने आसाराम की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी थी। आसाराम पर दुष्कर्म और हत्या का मामला है। इसी मामले में वह जेल में बंद है। राजस्थान के जोधपुर स्थित अपने आश्रम में वर्ष 2013 में 16 साल की एक लड़की के साथ दुष्कर्म करने के मामले में जोधपुर की अदालत ने आसाराम को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
साबरमती नदी के किनारे एक झोपड़ी से शुरुआत करने से लेकर देश और दुनियाभर में 400 से अधिक आश्रम बनाने वाले आसाराम ने चार दशक में 10,000 करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया था। आसाराम और चार अन्य सहआरोपियों के खिलाफ पुलिस ने पॉक्सो अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत छह नवंबर 2013 को पुलिस ने आरोपपत्र दायर किया था। पीड़िता ने आसाराम पर उसे जोधपुर के नजदीक मनाई इलाके में आश्रम में बुलाने और 15 अगस्त, 2013 की रात उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था।