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गुजरात में राज्यसभा की दोनों सीटों पर अलग-अलग ही होंगे चुनाव

Supreme Court. चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर दोनों सीटों पर पांच जुलाई को अलग-अलग चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 25 Jun 2019 12:25 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 12:33 PM (IST)
गुजरात में राज्यसभा की दोनों सीटों पर अलग-अलग ही होंगे चुनाव
गुजरात में राज्यसभा की दोनों सीटों पर अलग-अलग ही होंगे चुनाव

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने गुजरात में राज्यसभा की दो सीटों पर एक साथ चुनाव कराने की मांग वाली कांग्रेस की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव अधिसूचना जारी हो चुकी है इसलिए अभी कोर्ट उसमें दखल नहीं दे सकता। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव खत्म होने के बाद याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दाखिल करने की छूट दी है।अमित शाह और स्मृति ईरानी के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद गुजरात में राज्यसभा की दोनों नेताओं की सीटें खाली हो गई हैं।

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चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर दोनों सीटों पर पांच जुलाई को अलग-अलग चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की है। कांग्रेस ने अधिसूचना को चुनौती देते हुए दोनों सीटों पर एक साथ चुनाव कराने की मांग की थी।मंगलवार को जस्टिस संजीव खन्ना और बीआर गवई की अवकाशकालीन पीठ ने गुजरात कांग्रेस के नेता परेश धनानी की याचिका खारिज करते हुए उक्त आदेश दिए। पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में चुनाव याचिका दाखिल करने की विधायी व्यवस्था याचिकाकर्ता के पास उपलब्ध है और याचिकाकर्ता चुनाव खत्म होने के बाद संबंधित हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दाखिल कर सकता है।

जब याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराने के चुनाव आयोग के फैसले को गलत और असंवैधानिक बताया तो पीठ ने याचिका पर सवाल उठाते हुए उनसे पूछा कि इस मामले में उनके किस मौलिक अधिकार का हनन हुआ है। चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है बल्कि विधायी अधिकार है। इससे पहले चुनाव आयोग ने भी याचिका पर सवाल उठाते हुए उसे रद करने की मांग की थी। आयोग ने कहा था कि चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है और सामान्य तौर कोर्ट चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद दखल नहीं देता। आयोग ने याचिका के विरोध में दाखिल हलफनामे में कहा था कि राज्यसभा की दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराने में कुछ भी गैरकानूनी नहीं है। यह प्रक्रिया 1957 से अपनाई जा रही है।

इसलिए की थी एक साथ चुनाव की मांग
असल में गुजरात विधानसभा में भाजपा के 100 और कांग्रेस के 75 विधायक हैं, जबकि सात सीटें इस वक्त खाली हैं। अगर दोनों सीटों को भरने के लिए एक साथ चुनाव हुए और विधायकों ने सिर्फ एक बार में वोट दिया तो कांग्रेस के पास एक सीट जीतने का मौका होगा। लेकिन अगर दोनों सीटों के लिए अलग-अलग वोटिंग हुई तो भाजपा दोनों सीटों को जीत सकती है क्योंकि विधानसभा में उसका बहुमत है। संख्या बल के हिसाब से गुजरात में राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 61 वोट चाहिए।

बता दें कि एक ही बैलेट पर चुनाव से उम्मीदवार एक ही वोट डाल पाएगा। इस स्थिति में कांग्रेस एक सीट आसानी से निकाल लेती। लेकिन चुनाव आयोग की अधिसूचना के मुताबिक, विधायक अलग-अलग वोट करेंगे। ऐसे में उन्हें दो बार वोट करने का मौका मिलेगा। इस तरह भाजपा के विधायक जिनकी संख्या 100 से ज्यादा है वे दो बार वोट करके दोनों उम्मीदवारों को जितवा सकते हैं।

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