बिलकिस मामले में गुजरात को दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई पूरी करने के निर्देश
Supreme Court. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को यह तय करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो मामले की जांच की जाए।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से साल 2002 के बिलकिस बानो मामले में गुजरात उच्च न्यायालय की ओर से दोषी ठहराए गए पुलिस अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा है।
देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि वह बिलकिस बानो की ज्यादा मुआवजा मांगने वाली याचिका पर 23 अप्रैल को सुनवाई करेगी। पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल हैं। गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म की पीडि़ता बिलकिस बानो ने गुजरात सरकार की पांच लाख रुपये का मुआवजा देने संबंधी पेशकश स्वीकार करने से पीठ के समक्ष इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने चार मई 2017 को भारतीय दंड संहिता की धारा 218 (अपनी ड्यूटी का निर्वहन ना करने) और धारा 201 (सुबूतों से छेड़छाड़ करने) के तहत पांच पुलिस कर्मियों और दो डॉक्टरों को दोषी ठहराया था।
इससे पहले विगत 10 जुलाई, 2017 को सर्वोच्च अदालत ने एक आइपीएस अफसर समेत दो डॉक्टरों और चार पुलिस कर्मियों की अपील को खारिज करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ साफ तौर पर सुबूत हैं। अदालत ने उनकी अपील खारिज करते हुए यह भी कहा था कि सुनवाई अदालत ने बिना किसी कारण के उन्हें बरी कर दिया था। उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में गुजरात में सेवारत आइपीएस अफसर आरएस भगोरा समेत चार अन्य पुलिस कर्मियों को हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया था। हालांकि एक पुलिस कर्मी इदरीस अब्दुल सईद ने सजा के खिलाफ अपील नहीं की थी।
गौरतलब है कि बिलकिस बानो से 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उस समय वह गर्भवती थीं। उसे गोधरा ट्रेन जलाए जाने की घटना के बाद के घटनाक्रम में अपने परिवार के सात सदस्यों को खोना पड़ा था।