गुजरात पुलिस को करनी पड़ेगी परेड नए डीजीपी ने डी स्टाफ पर कसी लगाम
शिवानंद झा को होली के पहले ही पुलिस महानिदेशक बनाया गया था। कई वर्ष बाद राज्य को स्थायी पुलिस महानिदेशक मिले हैं।
अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। गुजरात के नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक शिवानंद झा ने पद संभालते ही राज्य पुलिस को चुस्त दुरुस्त करने की कवायद शुरु कर दी है। सबसे पहले उन्होंने ड्यूटी पर वर्दी नहीं पहनकर आने वाले पुलिसकर्मियों को सुधरने का आदेश जारी किया अब पुलिस अफसर व जवानों के लिए सोम व शुक्रवार को परेड अनिवार्य करने का फैसला किया है। गुजरात पुलिस में डी स्टाफकाफी मनमर्जी करने लगा था जिसे अंकुश में लेने के लिए झा ने पुलिस मेन्युअल का अमल शुरु करा दिया है।
शिवानंद झा को होली के पहले ही पुलिस महानिदेशक बनाया गया था। कई वर्ष बाद राज्य को स्थायी पुलिस महानिदेशक मिले हैं। पिछले कई वर्ष से सरकार कार्यकारी महानिदेशक से ही काम चला रही थी। महानिदेशक कार्यभार संभालते ही झा ने राज्य पुलिस बेडे में आमूल चूल परिवर्तन की शुरुआत कर दी है, गौरतलब है कि जांच व बंदोबस्त में तैनात डी स्टाफ के कर्मचारी सादा वर्दी में ही रहते हैं जिससे आम आदमी व कई बार पुलिस अधिकारियों के लिए भी पुलिसकर्मी व आम आदमी में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। झा ने सबसे पहले डी स्टाफ के कर्मचारियों पर लगाम कसने के लिए राज्य पुलिस के सभी कर्मचारियों के लिए ड्यूटी पर वर्दी में आने का परिपत्र जारी किया, इसमें अदालती कार्यवाही व ऑफिस स्टाफ को भी वर्दी पहनने से छूट नहीं दी गई।
महानिदेशक झा ने अब पुलिसकर्मियों व अधिकारियों के लिए सोमवार को पीटी परेड व शुक्रवार को सेर्मोनियल परेड में शामिल होना अनिवार्य कर दिया है, परेड में अनुपस्थित रहने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही के लिए थानी प्रभारी व पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया गया है। गौरतलब है कि गुजरात में लंबे समय से परेड में शामिल होने को लेकर अनिवार्यता नहीं होने से अधिकांश कर्मचारी ऑफिस कार्य व फील्ड वर्क का बहाना कर परेड से नदारद रहते थे, महानिदेशक ने ऐसी प्रव्रत्ति को पुलिसकर्मियों की सेहत के लिए खराब मानते हुए सभी के परेड में शामिल होने का आदेश जारी किया है। झा अनुशासन प्रिय अफसर हैं तथा खुद फिट रहने के लिए नियमित योगा व व्यायाम आदि करते हैं, वे नियमित रूप से मॉर्निंग वॉक् पर जाते हैं तथा अपने करीबी स्टाफ को भी स्वस्थ रहने को प्रेरित करते हैं, अब देखना यह है कि गुजरात पुलिस पर उनकी नसीहत का कितना असर पडता है, ध्यान रहे कि वर्ष 2002 के दंगों के दौरान पंजाब के सुपरकॉप केपीएस गिल को जब गुजरात भेजा गया था तो उन्होंने आते ही गुजरात पुलिस के अफसर व जवानों के अनफिट होने पर भारी नाराजगी जताई थी।