Gujrat School: गुजरात में सिग्नल स्कूल का उद्घाटन, निजी स्कूल के 60 हजार बच्चे सरकारी स्कूल में
राज्य में मिशन स्कूल ऑफ एक्सलेंस के रूप में राज्य की 15 हजार सरकारी प्राथमिक स्कूल कार्यरत की गई। सरकार ने बीते तीन साल में 16 हजार स्मार्ट क्लास रूम तैयार कराये। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ट्रैफिक सिग्नल पर भिक्षाव्रत्ति करने वाले बच्चों के लिए सिग्नल स्कूल का उद्घाटन किया।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ट्रैफिक सिग्नल पर भिक्षाव्रत्ति करने वाले बच्चों के लिए सिग्नल स्कूल का उद्घाटन किया। महानगर में ही एक ओर स्मार्ट स्कूल का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि निजी स्कूल के 60 हजार से अधिक छात्र छात्राओं ने सरकारी स्कूलों में प्रवेश लिया है। गुजरात में पहली बार यह बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। शिक्षा में सुधार के लिए भूपेंद्र सरकार के प्रयास के चलते जहां एक ओर सरकारी स्कूलों के प्रति छात्र छात्राओं में आकर्षण बढ़ा है वहीं शिक्षा के क्षैत्र में तकनीकी परिवर्तन लाकर राज्य सरकार ने एक ऊंची छलांग लगाई है।
मुख्यमंत्री पटेल को करीब दो सप्ताह पहले ट्रैफिक सिग्नल पर भिक्षाव्रत्ति करने वाले शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए स्कूल की जरूरत के बारे में बताया गया और शनिवार को स्कूल प्रवेशोत्सव के अंतिम दिन सिग्नल स्कूल का उद्घाटन भी कर दिया गया। समारोह में गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार भी मौजूद थे। इस स्कूल में 160 बच्चों को प्रवेश दिया गया है, मुख्यमंत्री ने कहा है कि जहां जरुरत होगी वहां और भी सिग्नल स्कूल खोले जाएंगे।
राज्य में विधानसभा चुनाव के चलते दिल्ली के एजुकेशन मॉडल को लेकर आम आदमी पार्टी गुजरात में जोर शोर से प्रचार कर रही है इसी बीच मुख्यमंत्री कीओर से स्मार्ट स्कूल, सिग्नल स्कूल का उद्घाटन तथा निजी स्कूल के 60 हजार से अधिक छात्र- छात्राओं ने सरकारी स्कूलों में प्रवेश का दावा राज्य की शिक्षा के लगातार सुधरते स्तर की ओर इशारा कर रहा है।
शिक्षामंत्री जीतूभाई वाघाणी ने बताया कि 23 से 25 जून तक स्कूल प्रवेश उत्सव के तहत राज्य में 5.72 लाख से अधिक बच्चों का स्कूल में प्रवेश कराया गया। इनमें 2.80 लाख कन्याओं ने कक्षा एक में प्रवेश लिया जबकि 2 लाख 30 हजार बच्चे आंगनवाडी पहुंचे।
मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल के सदस्य, सांसद एवं विधायकों समेत राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने 22857 गांवों की 30880 स्कूलों में छात्र छात्राओं का प्रवेश कराया। शाला प्रवेशोत्सव की शुरुआत वर्ष 2003-2004 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते कराया था। राज्य में 23 से 25 जून को 17वां प्रवेशोत्सव मनाया गया। गुजरात में बच्चों को स्कूल में सौ फीसदी नामांकन तथा शाला छोडने वाले बच्चों के प्रतिशत को शून्य पर लाने के इरादे से यह अभियान शुरु किया गया था।
गांधीनगर में कुछ से पूर्व ही हुए शिक्षामंत्रियों के सम्मेलन में मुख्यमंयत्री भूपेंद्र पटेल ने गुजरात में शिक्षा के क्षैत्र में किय जा रहे नवप्रवर्तन एवं प्रयोगों के बारे में देश के विविध राज्यों से आए शिक्षामंत्रियों एवं शिक्षा सचिवों को भी जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि विध्या समीक्षा केंद्र के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिसिस, विध्यार्थियों एवं शिक्षकों की उपस्थिति, उनके कामकाज व गतिविधियों पर ऑनलाइन नजर रखी जाती है। स्कूल की गुणात्मकता की जांच, सत्रांत परीक्षा, युनिट टेस्ट आदि कार्यवाही भी इसके जरिए संपादित की जाती है।
शिक्षा जगत में इस अनुठी पहल के लिए विश्व बैंक एवं एशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर बैंक ने धन उपलब्ध कराया है। राज्य में मिशन स्कूल ऑफ एक्सलेंस के रूप में राज्य की 15 हजार सरकारी प्राथमिक स्कूल कार्यरत की गई। सरकार ने बीते तीन साल में 16 हजार स्मार्ट क्लास रूम तैयार कराये। इसके चलते माइक्रोसॉफ्ट की टीम 2020 – 2021 में 6 करोड से अधिक वर्चुअल क्लास ली गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रयोगशाला होगा। यह राष्ट्रीय सम्मेलन ज्ञान एवं अनुभव को साझा करने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरुप शिक्षा के आधारभूत ढांच में बदलाव लाने में मील का पत्थर साबित होगा।