गुजरात में छिडी आरक्षण पर जंग सीएम के आवास पर रामधुन का ऐलान
भाजपा नेताओं को आमंत्रण के विरोध में एक बार फिर पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के नेता मैदान में, विजय रुपाणी व पाटीदार संस्थाओंं के पदाधिकारियों के घर के बाहर किया रामधुन का ऐलान।
अहमदाबाद, जेएनएन। आरक्षण के मुद्दे व पाटीदार संस्थाओं की ओर से भाजपा नेताओं को आमंत्रण के विरोध में एक बार फिर पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के नेता मैदान में हैं। पाटीदार नेताओं ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी व पाटीदार संस्थाओं के पदाधिकारियों के घर के बाहर रामधुन का ऐलान किया है। वहीं आंदोलन छोडकर भाजपा में शामिल हुई रेशमा पटेल ने भी आर्थिक आधार पर आरक्षण की घोषणा का अमल नहीं होने पर भाजपा को आडे हाथ लिया है।
पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के प्रभारी दिलीप साबवा ने पत्रकारों को बताया कि गुजरात में आरक्षण आंदोलन के दौरान पाटीदार युवकों पर दर्ज आपराधिक केस सरकार ने वापस नहीं लिए हैं। उधर पाटीदार संस्था विश्व उमिया फाउण्डेशन तथा अन्नपूर्णा धाम के पदाधिकारी अपने समारोहों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी व भाजपा नेताओं को आमंत्रण दे रहे हैं जबकि पाटीदार युवकों के खिलाफ अभी भी आपराधिक मुकदमें चल रहे हैं। साबवा ने कहा कि इसके विरोध में 18 फरवरी को गांधी आश्रम में रामधुन करेंगे, 25 फरवरी को मुख्यमंत्री आवास गांधीनगर में तथा 1 मार्च को भाजपा नेताओं को आमंत्रण देने वाले पाटीदार संस्थाओं के ट्रस्टियों के घर के बाहर रामधुन करेंगे। इस दौरान पाटीदार युवकों के खिलाफ पुलिस कार्यवाही हुई या उनहें गिरफ्तार किया गया तो पाटीदार समाज की महिलाएं सडकों पर उतरकर विरोध जताएंगी।
पाटीदार महिला नेता रेशमा पटेल ने केन्द्र सरकार के आर्थिक आधार पर कमजोर वर्ग के लिए घोषित दस फीसदी आरक्षण को गुमराह करने वाला बताया है। गुजरात हाईकोर्ट व ओएनजीसी के भर्ती विज्ञापन का हवाला देते हुए रेशमा ने सवाल उठाया कि जब अमल नहीं किया जा रहा है तो ऐसे आरक्षण का क्या मतलब। गोरतलब है कि हाईकोर्ट ने 124 पदों के लिए 1 फरवरी से 1 मार्च तक आवेदन की तिथी रखी है वहीं ओएनजीसी के लिए 20 फरवरी तक आवेदन किया जा सकेगा। इन भर्तियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछडों एसईबीसी व अन्य आरक्षित वर्ग की सीट रखी गई है लेकिन ईबीसी का कोई प्रावधान नहीं रखा गया। जबकि मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने आर्थिक रुप से पिछडों को आरक्षण देने की घोषणा सबसे पहले की थी।